RPSC की पूर्व मेंबर मंजू शर्मा की हाईकोर्ट में अपील: कहा, अदालत ने बिना साक्ष्य के टिप्पणियां कीं

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की पूर्व सदस्य मंजू शर्मा ने हाईकोर्ट की जयपुर डिवीजन बेंच में अपील दायर की है। मंजू शर्मा ने यह अपील हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा 28 अगस्त को दिए गए उस आदेश के खिलाफ दाखिल की है, जिसमें एसआई भर्ती-2021 को रद्द करने की सिफारिश करते हुए आरपीएससी के सदस्यों पर गंभीर टिप्पणियाँ की गई थीं।

विवादों के बाद RPSC से इस्तीफा दे चुकी मंजू शर्मा ने होइकोर्ट में उन्हें लेकर की गई टिप्पणियों को हटाने के लिए जयपुर डिवीजन बेंच में अपील दायर की है।हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा 28 अगस्त को एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करते हुए RPSC सदस्यों की भूमिका को लेकर भी गंभीर टिप्पणियां की थी। डिविजन बेंच में की गई पील में मंजू शर्मा ने कहा है कि उनके खिलाफ की गई टिप्पणियां अनुचित, कठोर और बिना साक्ष्य के की गई हैं। उन्होंने अदालत से मांग की है कि उन पर की गई व्यक्तिगत टिप्पणियां हटाई जाएं, क्योंकि उन्हें इस मामले में न तो पक्षकार बनाया गया और न ही अपनी बात रखने का मौका दिया गया। उनका कहना है कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की टिप्पणियों के बाद 1 सितंबर 2025 को मंजू शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे 15 सितंबर को राज्यपाल ने मंजूर कर लिया था। अपील में उन्होंने साफ कहा है कि उन्हें मानसिक तनाव और सामाजिक छवि को हुए नुकसान के कारण इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। मंजू शर्मा ने यह भी कहा कि जो चार्जशीट सिर्फ संपर्क का जिक्र करती है, उसे आधार बनाकर किसी सार्वजनिक पदाधिकारी की प्रतिष्ठा को धूमिल करना न्यायसंगत नहीं है। उनका यह भी कहना है कि उनके खिलाफ न कोई ऑडियो रिकॉर्डिंग, न प्रत्यक्ष साक्षी, और न ही मार्किंग से जुड़ा कोई ऑडिट ट्रेल सामने आया है, जो उन्हें दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त हो।

हाईकोर्ट की एकलपीठ के जस्टिस समीर जैन ने 28 अगस्त के आदेश में RPSC की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने लिखा था कि पूर्व सदस्य रामू राम राईका ने अपनी बेटी शोभा राईका के लिए सिफारिश की थी कि उसे एसआई इंटरव्यू में पास करवाया जाए। इसके लिए उन्होंने RPSC के तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रोत्रिय और सदस्यों, जिनमें मंजू शर्मा, बाबूलाल कटारा, संगीता आर्य और जसवंत राठी शामिल थे, से मुलाकात की। कोर्ट ने कहा था कि इन सदस्यों की भागीदारी, आरपीएससी के भीतर गहराते भ्रष्टाचार का संकेत देती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होते हैं। मंजू शर्मा ने डिवीजन बेंच में यह कहते हुए न्याय की मांग की है कि उनकी छवि को बिना सुनवाई और बिना साक्ष्य के धूमिल किया गया, जो न केवल व्यक्तिगत हानि, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता के भी खिलाफ है।

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