पंजाब में 235 लॉ अफसरों का इस्तीफा: एजी ऑफिस में बड़े फेरबदल की तैयारी

दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पंजाब सरकार लगातार एक्शन मोड में दिखाई दे रही है। पंजाब एडवोकेट जनरल ऑफिस में बड़ा फेरबदल सामने आया है।

पंजाब सरकार के कहने पर 232 लॉ अफसरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रशासन से लेकर कानूनी गलियारे में चर्चा है कि अब इन 232 लॉ अफसरों पर नई नियुक्ति होगी।

इसी बीच नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने भी एजी ऑफिस में हुए अचानक हुए इस बदलाव पर पंजाब सरकार को घेरा है। नेता प्रतिपक्ष बाजवा ने पंजाब सरकार पर आरोप लगाए हैं कि दिल्ली के विधि अधिकारियों को अब पंजाब लाने की तैयारी की जा रही है।

वहीं इस बारे में पंजाब के एडवोकेट जनरल (एजी) गुरमिंदर सिंह का कहना है कि यह सब कुछ एक तय प्रक्रिया का हिस्सा है। क्योंकि इन अधिकारियों की नियुक्ति एक साल के लिए होती है। फरवरी माह में भी इनकी नियुक्ति समाप्त हो रही है।

बता दें इससे पहले मान सरकार ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के चीफ डायरेक्टर के पद पर फेरबदल करते हुए मुक्तसर के डीसी को निलंबित किया। इसके बाद पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे कांस्टेबल से इंस्पेक्टर रैंक तक के 52 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त किया। उसके बाद सात जिलों के एसएसपी सहित 21 आईपीएस अधिकारियों को बदला गया और अब एजी ऑफिस में बड़ा फेरबदल किया गया है।

दिल्ली के विधि अधिकारियों को पंजाब लाने की तैयारी: बाजवा
पंजाब के महाधिवक्ता के कार्यालय से जुड़े 235 कानून अधिकारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के बाद पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) प्रताप सिंह बाजवा ने शनिवार को आप सरकार पर आप की पिछली दिल्ली सरकार के कानून अधिकारियों को पंजाब एजी कार्यालय में लाने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पंजाब एजी कार्यालय के पुनर्निर्माण की आड़ में आप दिल्ली में पार्टी के करीब कई कानून अधिकारियों को रखने के लिए जमीन तैयार कर रही है।

बाजवा ने कहा कि दिल्ली के विधि अधिकारी दिल्ली में पिछली आप सरकार के पेरोल पर थे। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में अपनी हार के बाद आप उन्हें पंजाब में लाने पर लग गई है। बाजवा ने कहा कि यह पंजाब के 236 कानून अधिकारियों के साथ अन्याय है और पंजाब कांग्रेस इसकी कड़ी निंदा करती है। इससे पहले रेरा प्रमुख और पीएसईबी अध्यक्षों को दिल्ली से नियुक्त किया गया था। वे आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के करीबी भी माने जाते थे।

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