रिजर्व बैंक ने बढ़ाया रेपो रेट, लोगों की जेब पर पड़ेगा ये असर…

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक ऐसे समय हुई, जब हर किसी को रिकॉर्ड महंगाई की चिंता खाए जा रही है. बेकाबू महंगाई के कारण रिजर्व बैंक को पिछले महीने आपात बैठक कर रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा था.
महंगाई ने रिजर्व बैंक के पास नहीं छोड़ा विकल्प
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की जून बैठक के बाद आज रेपो रेट बढ़ाए जाने की जानकारी दी. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिनों की यह बैठक सोमवार से चल रही थी और आज संपन्न हुई. यह इस फाइनेंशियल ईयर में आरबीआई एमपीसी की तीसरी बैठक थी. बैठक में समिति के पांचों सदस्यों ने गवर्नर दास की अगुवाई में महंगाई और इकोनॉमिक ग्रोथ (Economic Growth) की वास्तुस्थिति पर विचार-विमर्श किया. बेकाबू महंगाई को देखते हुए समिति के सदस्य इस बात पर सहमत हुए कि फिलहाल रेपो रेट बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है.
पिछले महीने बुलानी पड़ी थी आपात बैठक
इससे पहले रिजर्व बैंक (RBI) ने लंबे अंतराल के बाद पिछले महीने अचानक रेपो रेट बढ़ाने (Repo Rate Hike) का ऐलान किया था. गवर्नर दास ने अचानक हुई आपात बैठक के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा था कि सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इकोनॉमी के हालात पर चर्चा करने के लिए आपात बैठक की. उस बैठक में भी एमपीसी के सदस्यों ने एकमत से रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाने का फैसला लिया था. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने मई में रेपो रेट के साथ ही कैश रिजर्व रेशियो (CRR) को भी 0.50 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया था. हालांकि एमपीसी ने एकमोडेटिव मॉनीटरी पॉलिसी स्टान्स को बरकरार रखा था.
ऐसे हैं देश में महंगाई के हालात
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) की दर 7.8 फीसदी रही थी, जो मई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है. इसी तरह अप्रैल 2022 में थोक महंगाई (Wholesale Inflation) की दर बढ़कर 15.08 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो दिसंबर 1998 के बाद सबसे ज्यादा है. अप्रैल महीने में रिकॉर्ड महंगाई के लिए फूड एंड फ्यूल इंफ्लेशन जिम्मेदार रहे थे.
फूड इंफ्लेशन की बात करें तो यह मार्च के 7.68 फीसदी की तुलना में उछलकर अप्रैल में 8.38 फीसदी पर पहुंच गई थी. अभी मई महीने की महंगाई के आंकड़े जारी नहीं हुए हैं. हालांकि बीते दिनों टमाटर के भाव जिस तरह से बढ़े हैं, महंगाई की दर तेज ही रहने के अनुमान हैं. दूसरी ओर सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर टैक्स कम (Diesel Petrol Duty Cut) करने, क्रूड सोयाबीन और सनफ्लॉवर ऑयल पर आयात शुल्क हटाने और विमानन ईंधन (ATF) की कीमत नीचे लाने जैसे उपाय किए हैं. इन प्रयासों से महंगाई कुछ कम हो सकती है.k