चाइल्डिश वर्सेज चाइल्डलाइक
किडल्ट होने का यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि आप बचकानी हरकतें करने लगें, बल्कि आपको बच्चों-सा बनना है। जिस तरह बच्चे बेफ्रिक, बेपरवाह होकर जीते हैं। किसी बात की ज्यादा चिंता नहीं करते। आप भी जिंदगी में थोड़ा केयरफ्री बनिए। चिंता मुक्त रहिए। बेपरवाह होकर जिंदगी को जीना सीखिए। अपने काम, रिश्तों आदि को लेकर जितनी चिंता करेंगे, उतनी ही ज्यादा परेशानियों में घिरते चले जाएंगे।
पुरानी यादों में खो जाएं
एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पुरानी यादों को (नॉस्टैल्जिक) महसूस करने के लिए पुरानी फिल्में और टीवी कार्यक्रमों को देखने से बेहतर कुछ भी नहीं है। बीते वक्त की यादें (सेंस ऑफ नॉस्टैल्जिया) सही मायने में मानसिक सेहत के लिए अच्छे होते हैं। यादें ताजा करने से डिप्रेशन के लक्षणों को कम किया जा सकता है। यदि आपका बीता हुआ कल आज से बेहतर था, तो उसे जरूर याद करें। पुरानी बातों को याद करने से आत्मसम्मान, आत्मविश्वास बूस्ट होता है। आप अधिक आशावादी बनते हैं। अर्थपूर्ण जीवन जीने की तरफ बढ़ते हैं। इससे अकेलापन भी दूर होता है।
लाइफ कोच एवं साइकोलॉजिस्ट डॉ. रेणु ठाकुर के मुताबिक, बड़े कई बार दूसरों को सीख देने में ही अपना सारा समय बिता देते हैं। ऐसा करके हम अपने अंदर के बच्चे को कहीं खो देते हैं। बेफ्रिक और खुश रहने के लिए जरूरी है, हम भी कभी बच्चे बन जाएं। यदि आप अपने अंदर की भावनाओं को व्यक्त करें, गाना गाएं या फिर बच्चों की तरह तितलियों के पीछे भागें, तो आप अपने बचपन से अधिक जुड़ाव महसूस करेंगे। ऐसा करने से मानसिक रूप से फिट रहेंगे। तनाव नहीं होगा।