नए साल की पहली एकादशी पर तुलसी से जुड़े इन नियमों का जरूर रखें ध्यान

पौष माह में आने वाली पौष पुत्रदा एकादशी विशेष महत्व रखती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार पुत्रदा एकादशी (Ekadashi January 2025) का व्रत करने से साधक को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट भी दूर हो जाते हैं और उसे अच्छे स्वास्थ्य व लंबी आयु का वरदान मिलता है।

एकादशी तिथि को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विधान है। ऐसे में यदि आप इस दिन पर तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपको प्रभु श्रीहरि का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं एकदाशी पर तुलसी से जुड़े किन नियमों का ध्यान रखना चाहिए।

पौष पुत्रदा एकादशी मुहूर्त (Pausha Putrada Ekadashi 2025)
पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारम्भ 09 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर हो रहा है। वहीं यह तिथि 10 जनवरी 10 , सुबह 10 बजकर 19 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत शुक्रवार, 10 जनवरी को किया जाएगा।

इस बात का जरूर रखें ध्यान
एकादशी के दिन विष्णु जी के भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करना चाहिए, क्योंकि इसके बिना विष्णु जी का भोग अधूरा माना जाता है। बस इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन तुलसी जी, भगवान विष्णु के निमित्त व्रत करती हैं और इन सभी कार्यों से उनके व्रत में बाधा पहुच सकती है।

न करें ये गलती
भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय मानी गई है। ऐसे में एकादशी के दिन इस बात का खास तौर से ध्यान रखें कि तुलसी को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुचाएं और न ही तुलसी के पत्ते तोड़ें। ऐसा करने से आपको अच्छे परिणाम नहीं मिलते।

तुलसी जी के मंत्र
एकादशी के दिन तुलसी माता के साथ-साथ विष्णु जी की कृपा प्राप्ति के लिए आप तुलसी जी के मंत्रों का जप भी कर सकते हैं।
तुलसी मंत्र – महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

मां तुलसी पूजन मंत्र-
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र –
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

तुलसी माता ध्यान मंत्र –
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

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