कर्ज के बोझ को कम कर वित्तीय मजबूती की ओर अर्थव्यवस्था, राजकोषीय घाटे में कमी से बढ़ेगी विकास दर
कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित वित्तीय सेहत को अब फिर से मजबूती देने में सरकार जुट गई है। फाइनेंशियल रिस्पांस्बिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) एक्ट के तहत सरकार अपने राजकोषीय घाटे को कम करने के साथ कुल कर्ज अनुपात में कमी के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है।
कर्ज का अनुपात जीडीपी की विकास दर पर भी निर्भर करेगा
बजट में वित्त वर्ष 2030-31 तक कर्ज के अनुपात को जीडीपी के 51 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। चालू वित्त वर्ष में कर्ज का अनुपात 57.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि कर्ज का अनुपात जीडीपी की विकास दर पर भी निर्भर करेगा।
अगर चालू मूल्य पर जीडीपी विकास दर अगले पांच साल में 11 प्रतिशत रहती है तो वित्त वर्ष 2030-31 में कर्ज का अनुपात जीडीपी के 48 प्रतिशत तक जा सकता है। कर्ज में कमी और राजस्व में बढ़ोतरी से राजकोषीय घाटे में भी लगातार कमी आएगी।
केंद्र सरकार का कर्ज जीडीपी के 56.1 प्रतिशत रहने का अनुमान
चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.8 प्रतिशत तो आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में यह 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वित्त वर्ष में केंद्र सरकार का कर्ज जीडीपी के 56.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।बजट घोषणा के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष में कुल टैक्स राजस्व 42.70 लाख करोड़ रहने का अनुमान है जो चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान के मुकाबले 10.8 प्रतिशत अधिक है। 42.7 लाख करोड़ में 25.20 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष कर से आने का अनुमान है।
राजकोषीय प्रबंधन से ऋण बाजारों को लाभ होना चाहिए
पीरामल इंटरप्राइजेज के मुख्य अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी के मुताबिक बजट के राजकोषीय प्रबंधन से ऋण बाजारों को लाभ होना चाहिए। वित्त वर्ष 2026 में विकास दर 6.8 प्रतिशत या उससे कम रहने की उम्मीद है। केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।कोई भी अन्य बड़ी अर्थव्यवस्था कोरोना के बाद इस गति से राजकोषीय घाटे को कम करने में सक्षम नहीं रही है। भारत की स्थिति मजबूत हुई है। कर कटौती से भारत के विशाल मध्यम वर्ग और महत्वाकांक्षी आबादी को अतिरिक्त आय उपलब्ध हुई है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास और सुरक्षा के लिए 3,481.27 करोड़ रुपये आवंटित
केंद्रीय बजट में सुरक्षा संबंधित व्यय (एसआरई) और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष बुनियादी ढांचा योजना के लिए 3,481.27 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, क्योकि केंद्र ने नक्सली समस्या को खत्म करने के लिए मार्च 2026 का लक्ष्य रखा है। 2024-25 के बजट में इस मद में 2,463.62 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई थी।