RBI और NPCI कर रहे हैं मर्चेंट ट्रांजैक्शन की लिमिट बढ़ाने की तैयारी

आरबीआई की एमपीसी मीटिंग की शुरुआत 7 अप्रैल को हुई थी। जिसका फैसला आज 9 अप्रैल की बैठक में लिया गया है। ये मीटिंग दो दिन तक चली। मौद्रिक समिति बैठक के दौरान रेपो रेट और अन्य वित्तीय संबंधित फैसले लिए गए हैं।
रेपो रेट के अलावा आरबीआई पर्सन-टू- मर्चेट लिमिट को बढ़ाने पर भी विचार कर रहा है। जब कोई व्यक्ति यूपीआई, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के जरिए किसी बिजनेस के साथ ट्रांसजेक्शन करता है। तो उसे पर्सन-टू-मर्चेट कहा जाता है।
फिलहाल पर्सन-टू- मर्चेट लिमिट 1 लाख रुपये रखी गई है। जिसे आरबीआई 2 लाख से 5 लाख रुपये तक करने पर विचार कर रहा है। हालांकि इसे लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं आया है।
यूपीआई ( Unified Payments Interface) के जरिए आज चंद मिनटों में ही एक बैंक से दूसरे बैंक पैसों की ट्रांसजेक्शन हो जाती है। आरबीआई ने ये फैसला यूपीआई के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए ले रहे हैं।
कितनी बढ़ सकती है लिमिट ?
पीटीआई के मुताबिक अभी यूपीआई के पर्सन-टू-पर्सन और पर्सन-टू-मर्चेट ट्रांसजेक्शन करने के लिए लिमिट 1 लाख रुपये तक रखी गई है। हालांकि अब पर्सन-टू-मर्चेट के बीच होने वाली ट्रांसजेक्शन लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक कर दिया जाएगा।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि यूजर्स के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए हम पर्सन-टू-मर्चेट लिमिट में बढ़ावे का विचार कर सकती है। इसकी सीमा बढ़ाकर 2 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक कर दिया जाएगा।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बड़े अमाउंट में किसी भी तरह का स्कैम ना हो, इसे लेकर भी कदम उठाए जाएंगे। वहीं आरबीआई चाहे लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख से 5 लाख रुपये तक कर दें। लेकिन बैंक अपने अनुसार इस लिमिट को तय कर सकती है।
वहीं यूपीआई के जरिए पर्सन-टू-पर्सन होने वाली ट्रांसजेक्शन की लिमिट 1 लाख रुपये ही रहेगी।
आरबीआई ने क्यों घटाया रेपो रेट
हमारे देश की केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती और बढ़ोतरी कर अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई पर नियंत्रित करने की कोशिश करती है। रेपो रेट में कटौती और बढ़ोतरी का फैसला कई तरह के महत्वपूर्ण तथ्यों को देखकर लिया जाता है। इनमें से एक महंगाई भी है।
आरबीआई ने एक बार फिर रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया है। रेपो रेट में 0.25 फीसदी गिरावट कर इसे 6 फीसदी कर दिया जाएगा। इससे पहले भी फरवरी के एमपीसी मीटिंग में रेपो रेट में गिरावट की गई थी।