राजस्थान: दुर्लभ वन्यजीवों को रास आ रहा बूंदी का जंगल

राजस्थान के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की समृद्ध जैवविविधता का प्रमाण देते हुए हाल ही में एशियाई वाइल्ड कैट (डेजर्ट कैट) की उपस्थिति दर्ज की गई है। यह बिल्ली शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है और लंबे समय तक बिना पानी के जीवित रह सकती है। रामगढ़ टाइगर रिजर्व में अब तक कैट फैमिली की आधा दर्जन दुर्लभ प्रजातियां, जैसे सियागोश और रस्टी स्पॉटेड कैट, फोटोट्रैप कैमरों में रिकॉर्ड की गई हैं।

जिले के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के जंगलों में वन्यजीवों की संख्या और लुप्तप्राय प्रजातियों की उपस्थिति बनी हुई है। हाल ही में टाइगर रिजर्व में दुर्लभ प्रजाति की सियागोश बिल्ली के मिलने के बाद अब यहां एशियाई वाइल्ड कैट की भी मौजूदगी दर्ज की गई है। इसे भारतीय रेगिस्तानी बिल्ली, एशियाई जंगली बिल्ली या एशियाई मैदानी जंगली बिल्ली भी कहा जाता है। यह घरेलू बिल्ली के आकार की बिल्ली दक्षिण-पश्चिमी और मध्य एशिया, पाकिस्तान, भारत, मंगोलिया और चीन में व्यापक रूप से पाई जाती है।

भारत में, यह मुख्य रूप से पश्चिमी भारत के गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। राजस्थान में यह आमतौर पर यह वन बिलाव अब तक पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्र और डेजर्ट नेशनल पार्क में देखी गई है। रेगिस्तान में इसकी मौजूदगी के कारण ही इसे डेजर्ट कैट के नाम से भी जाना जाता है। बून्दी के जंगलों में इसका मिलना एक सुखद एवं रोमांचक अनुभव है। रामगढ़ टाइगर रिजर्व बनने के साथ ही यहां पर लगातार बड़ी व छोटी बिल्लियों की संख्या बढ़ रही है, जो इस टाइगर रिजर्व के लिए अच्छा संकेत है।

कई दिनों तक बिना पानी के रह सकती है यह बिल्ली
भारतीय रेगिस्तानी बनबिलाव, बिल्ली जैसी ही दिखती है। इसके अगले और पिछले पैरों के ऊपरी हिस्से पर गहरे रंग की धारियां होती हैं और शरीर पर गहरे काले धब्बे और एक काले गुच्छे के साथ पतली पूंछ होती है। यह बनबिलाव शुष्क आवासों में रहती है और लंबे समय तक पानी के बिना जीवित रह सकती है।

इस बिल्ली की संख्या लगातार कम होती जा रही है और इसे भारतीय वन्यजीव संरक्षण कानून की अनुसूची प्रथम में शामिल किया गया है। यह बिल्ली मरुस्थलीय क्षेत्रों में छोटी शेरनी या रोही बिल्ली भी कही जाती है। वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार पर्यावरण संरक्षण में डेजर्ट केट की भूमिका महत्वपूर्ण है यह चूहों और कई तरह जीवों की संख्या को नियंत्रण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है तथा ऐसे में वहां ईकोलोजी सिस्टम भी बेहतर रहता है। वन क्षेत्रों में विकास और बढ़ते जैविक दबाव के कारण जंगली बिल्लियों की संख्या कम हो रही है। इसके अलावा इनकी आकर्षक खाल के कारण यह शिकारियों की नजरों में रहती है।

रामगढ़ में हुई बिल्ली परिवार की आधा दर्जन प्रजातियां
बून्दी के रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के उपवन संरक्षक एवं उपक्षेत्र निदेशक संजीव शर्मा ने बताया कि रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में एशियाई वन बिलाव, सियागोश व रस्टी स्पॉटेड कैट जैसी दुनियां की दुर्लभ जंगली बिल्लियां मौजूद हैं। इसके अलावा सामान्य वन बिलाव भी बड़ी संख्या में बून्दी के जंगलों में पाए जाते हैं।

रामगढ़ के जंगल बाघ और बघेरों जैसी बड़ी बिल्लियों के लिए सदियों से प्रसिद्ध रहे है। अब यहां दुर्लभ प्रजाति की छोटी बिल्लियां भी फोटोट्रेप कैमरों में कैद हुई हैं, जिससे यहां के जंगलों की समृद्ध जैवविविधता की झलक मिलती है। रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में लगाए गए फोटोट्रेप कैमरों में एशियाई वाइल्ड कैट की फ़ोटो अलग अलग जगहों से कैप्चर हुई है। अभी तक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कैट फैमेली की आधा दर्जन प्रजातियां दर्ज की गई हैं।

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