राजस्थान: किरोड़ीलाल की भजनलाल सरकार को सीधी चुनौती

पिछले लोकसभा चुनावों के बाद से ही सरकार के लिए सिर दर्द बने डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने एक तरह से सरकार को सीधे चुनौती दे डाली है। जिस पेपर लीक के मुद्दे पर किरोड़ीलाल मीणा अब तक सीएम भजनलाल शर्मा को निशाने पर लेने से बचते आ रहे थे। इस बार उन्होंने उन पर सीधा वार किया है। खास बात इस बयानबाजी की टाइमिंग भी है। यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब संघ प्रमुख मोहन भागवत चार दिन के लिए राजस्थान के बारां में प्रवास कर रहे हैं। इससे घटनाक्रम की गंभीरता और बढ़ जाती है।

जिस पेपर लीक कांड पर कार्रवाई को लेकर प्रदेश की भजनलाल सरकार सार्वजनिक मंच पर अपनी वाहवाही बटौर रही है, उसी मुद्दे को लेकर किरोड़ीलाल ने सरकार को बैक फुट पर ला दिया है। पेपर लीक कांड पर मंत्रियों की कमेटी गठित करने के सीएम भजनलाल के फैसले पर सवाल उठाते हुए किरोड़ी ने हाल में बयान दिया। किरोड़ी ने कहा, सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा मामले में पांच मंत्रियों की कमेटी बना दी। मंत्रियों की कमेटी का क्या अर्थ है? परीक्षा रद्द होनी चाहिए। एडवोकेट जनरल ने राय दे दी है कि यह परीक्षा रद्द होनी चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट के कई ऐसे फैसले हैं कि परीक्षा से पहले पेपर लीक हो जाए तो परीक्षा रद्द होनी चाहिए। पता नहीं क्यों ऐसा कर रहे हैं, मुझे बड़ा दुख है इस बात का। किरोड़ी ने कहा, मैं एसआई भर्ती रद्द करने के लिए तीन बार सीएम को कह चुका हूं। उस दिन कैबिनेट बैठक में इसलिए गया था कि परीक्षा रद्द होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने मुझे कहा था कि समय पर करेंगे। लेकिन, अब एक कमेटी बैठा दी तो समझ से बाहर है कि ऐसा मुख्यमंत्री जी क्यों कर रहे हैं?

हालांकि, पेपर लीक कांड का मुद्दा किरोड़ी काफी पहले से उठाते आए हैं और उनकी ओर से जो तथ्य मीडिया के सामने रखे गए थे। वह भी एसओजी की कार्रवाई में सही साबित हुए। लेकिन अब तक जितनी भी कार्रवाई हुई उस मामले में किरोड़ी ने सीएम को लेकर कोई सवाल नहीं उठाए। लेकिन इस बार किरोड़ी के सुर और तेवर दोनों पहले से ज्यादा तीखे और आक्रामक नजर आ रहे हैं।

बयान किरोड़ी के और मायने डोटासरा ने समझा दिए
किरोड़ी के इन बयानों का विश्लेषण कांग्रेस ने ढंग से किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर लिखा, जब एक मंत्री कहे कि सरकार का मुखिया लीपापोती कर रहा है तो इसके क्या मायने हैं? जब एक मंत्री अपने ही मुख्यमंत्री की निर्णय क्षमता पर सवाल उठाए तो इसके क्या मायने हैं?

आखिर मुख्यमंत्री इतने लाचार और मजबूर क्यों हैं और किन ‘मगरमच्छों’ से डर रहे हैं? जब SOG कह रही है, मंत्री कह रहे हैं, अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) कह रहे हैं तो फिर SI भर्ती निरस्त करने को लेकर उन्हें कौन रोक रहा है? मुख्यमंत्री की बातों से उनके मंत्रिमंडल का एक सदस्य ही संतुष्ट नहीं है, तो न्याय और नौकरी के इंतजार में बैठे युवा उनकी बातों पर कैसे भरोसा करेंगे?

नड्ढा का दौरा निरस्त यानी सरकार ही नहीं संगठन में भी खुरपेंच
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सरकार में असमंजस है। दिल्ली से मिले संकेत बता रहे हैं कि संगठन में भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्ढा को कल राजस्थान आना था और संगठन की बैठक लेनी थी। लेकिन नड्ढा का यह दौरा निरस्त हो गया।

हालांकि, वे बैठक लेंगे लेकिन वर्चुअली। नड्ढा के दौरे का इस तरह से निरस्त हो जाने को लेकर भी पार्टी के अंदर कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। पिछले दिनों राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी यहां सदस्यता अभियान कड़ी नाराजगी जाहिर करके गए थे, जिसमें बीजेपी शासित होने के बावजूद राजस्थान की स्थिति देश के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी खराब बताई गई थी।

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