राजस्थान: संजीवनी पर शेखावत को क्लीन चिट पर गहलोत का पलटवार

पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने संजीवनी मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को मिली क्लीन चिट पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के दबाव में जांच एजेंसी SOG ने यूटर्न ले लिया। उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटार्यड न्यायाधीश की अध्यक्षता में SIT बनाकर इस प्रकरण की जांच की जाए, जिससे पता चले कि कांग्रेस शासन में SOG द्वारा गलत जांच की गई या अभी दबाव में SOG ने गलत रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस सरकार के समय इस केस में SOG ने फॉरेंसिक ऑडिट तक करवाकर भी जांच की थी। मेरा उद्देश्य लाखों पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित कर उनके जीवन की मेहनत की कमाई वापस उनको दिलवाने का है।

बीजेपी सरकार ने जांच अधिकारी बदला
गहलोत ने आगे लिखा कि इस केस के जांच अधिकारी (आईओ) भी हटा दिया गया एवं भाजपा सरकार द्वारा नामित सरकारी वकीलों ने भी केन्द्रीय मंत्री का ही पक्ष लिया। इस सबके बावजूद हाईकोर्ट ने मंत्री की याचिका के अनुरूप FIR को रद्द नहीं किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट की इजाजत लेकर आगे कार्रवाई की जा सकती है।

SOG ने शेखावत का आरोपियों से सीधा संबंध माना
यही नहीं गहलोत ने आगे SOG द्वारा पूर्व में लिखे पत्रों का हवाला देते हुए लिखा कि SOG द्वारा 12 अप्रेल 2023 को राजकीय अधिवक्ता को लिखे गए पत्र क्रमांक SOG/SFIU/INV/2023/220 में इस केस की तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजी जिसके पेज नंबर 7 पर शेखावत एवं उनके परिजनों की अपराध में संलिप्तता होने की बात लिखी और आरोपी माना। इस रिपोर्ट में लिखा गया कि जिन कंपनियों की संलिप्तता संजीवनी घोटाले में है उनसे गजेन्द्र सिंह शेखावत का सीधा संबंध है।

इस केस के सैकड़ों पीड़ितों ने मुझसे मुलाकात की, तब मैंने SOG से इस मामले की जानकारी मांगी। तब SOG ने गृहमंत्री के रूप में मुझे इन तथ्यों एवं इस प्रकरण की प्रगति से अवगत करवाया। मेरा गजेन्द्र शेखावत के प्रति कोई व्यक्ति द्वेष नहीं था। SOG की इस ब्रीफिंग के आधार पर ही मैंने मीडिया के सामने शेखावत एवं उनके परिजनों पर लगे आरोपों की जानकारी सामने रखी। शेखावत ने कल भी अपने बयानों में अपनी स्वर्गीय माताजी पर लगे आरोपों का जिक्र किया। मेरा उनकी स्वर्गीय माताजी के प्रति पूरा सम्मान है परन्तु राज्य के गृहमंत्री के रूप में मेरे सामने लाए गए तथ्यों को पीड़ितों एवं जनता के सामने रखा जाना मेरा कर्तव्य था। अब राज्य में सरकार बदलने के बाद SOG पर भाजपा सरकार ने दबाव बनाया जिसके कारण SOG ने कोर्ट में यू-टर्न लिया और इन्हें आरोपी नहीं माना है।

मामले की जांच एसआईअी से करवाने की मांग 
गहलोत ने कहा कि इस प्रकरण की जांच एसआईटी से करवाई जानी चाहिए। उन्होंने लिख कि मेरी मांग है कि निष्पक्ष जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटार्यड न्यायाधीश की अध्यक्षता में SIT बनाकर इस प्रकरण की जांच की जाए, जिससे पता चले कि कांग्रेस शासन में SOG द्वारा गलत जांच की गई या अभी दबाव में SOG ने गलत रिपोर्ट तैयार की है। कांग्रेस सरकार के समय इस केस में SOG ने फॉरेंसिक ऑडिट तक करवाकर भी जांच की थी। मेरा उद्देश्य लाखों पीड़ितों के साथ न्याय सुनिश्चित कर उनके जीवन की मेहनत की कमाई वापस उनको दिलवाने का है।

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