रेलवे का तंत्र विफल, भीड़ का अंदाजा नहीं लगा पाए अधिकारी; लापरवाही ने ले ली कइयों की जान

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात रेलवे अधिकारियों की लापरवाही से हुई भगदड़ में 17 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में रेलवे की ओर से देर रात तक आधिकारिक तौर पर बयान नहीं आया है। यह भी नहीं बताया गया कि कितने लोगों की जान गई है और कितने घायल हुए हैं। फिलहाल मामले की जांच के लिए उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन किया गया है। घटनास्थल पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार, आरपीएफ के महानिदेशक समेत कई अधिकारी पहुंच गए हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों के रद्द होने के बाद प्लेटफाॅर्म नंबर 14 पर मौजूद हजारों यात्री बेचैन हो गए। इस बीच एक अन्य ट्रेन वहां से निकली तो धक्का-मुक्की शुरू हो गई। इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस बीच प्लेटफार्म आने वाले श्रद्धालुओं का सिलसिला निरंतर जारी रहा। धक्का मुक्की से बचने के लिए कुछ लोगों ने तेजी से सीढि़यां चढ़ने का प्रयास किया, लेकिन वहां से आने वाली भीड़ के चलते वह ऐसा नहीं कर सके। परिणामस्वरूप कई लोग एक दूसरे पर चढ़ गए। इस दौरान उमड़ी भीड़ का अंदाजा न तो रेलवे अधिकारी लगा पाए और न ही आरपीएफ के अधिकारी।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन संवेदनशील रेलवे स्टेशन में से एक है। यहां रोजाना पांच लाख से अधिक लोगों की आवाजाही होती है। ऐसे में यहां पर आरपीएफ की ओर से खुफिया इनपुट जुटाने के लिए विशेष कर्मी तैनात रहते हैं। इसके बावजूद उनकी ओर से भी भीड़ को लेकर कोई इनपुट नहीं दिया गया। साथ ही रेलवे के अधिकारी भी स्टेशन पर भीड़ की मॉनिटरिंग नहीं कर सके। परिणामस्वरूप करीब 15 यात्रियों को जान गंवानी पड़ी और कई घायल हो गए।

महज दिखावा साबित हुई सीसीटीवी कैमरों से मॉनिटरिंग….
रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे मॉनिटरिंग का दावा किया जाता है। स्टेशन के हर प्लेटफाॅर्म की लाइव डीआरएम अपने ऑफिस में देखते हैं। इसके बावजूद स्टेशन पर वह उमड़ती भीड़ को नहीं देख सके। वही दूसरी तरफ से रेलवे की ओर से लगातार जनरल टिकट दिए गए। इससे भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ का दबाव बढ़ गया।

रेलवे की ओर से नहीं दी जा रही स्पष्ट जानकारी….
बताया जा रहा है कि प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। ऐसे में भीड़ प्लेटफॉर्म पर बढ़ गई। लेकिन रेलवे की तरफ से ट्रेन रद्द करने की बात से साफ इंकार किया जा रहा है। बल्कि कहा तो यह जा रहा है कि चार स्पेशल ट्रेन चलाईं गईं। घटना के बाद देर रात तक इस मामले में रेलवे की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई।

टिकट विंडो पर नहीं थी भीड़, विशेष ट्रेनों का नहीं किया गया प्रबंध…
रेलवे बोर्ड के सूचना एवं प्रचार विभाग के कार्यकारी निदेशक दिलीप कुमार का कहना है कि आम तौर पर टिकट विंडो पर भीड़ को देख कर विशेष ट्रेनें का संचालन किया जाता है। शनिवार को अधिक भीड़ को लेकर कोई इनपुट नहीं था और न ही टिकट विंडो पर भीड़ थी। ऐसे में विशेष ट्रेनों की व्यवस्था नहीं की गई। बाद में भीड़ बढ़ी तब अतिरिक्त ट्रेन चलाई गईं। उन्होंने बताया कि यात्रियों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत अधिक थी, इसलिए चार और विशेष ट्रेनें चलाईं। सूचना मिली कि कुछ लोग बेहोश हो गए हैं उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुछ समय के लिए रेलवे स्टेशन पर प्रवेश रोका गया था, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है। मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति बनाई गई है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, और यात्रियों को विशेष ट्रेन से भेज दिया गया है। रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही अब सामान्य है।

प्रयागराज की भगदड़ से नहीं लिया सबक
प्रशासन से प्रयागराज में हुई भगदड़ से कोई सबक नहीं लिया। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 12 और 13 पर यात्री ट्रेन के इंतजार में परिवार और रिश्तेदारों के संग घेरा बनाकर बैठकर और लेटकर आराम कर रहे थे। इसका सीधा असर प्लेटफॉर्म की जगह पर पड़ रहा था। इसी तरह अन्य प्लेटफॉर्म में भी यही हाल रहा। प्रयागराज के संगम नोज पर हुई भगदड़ मामले में देखा गया था कि कई लोग स्नान करने के बाद उसी संगम नोज पर ठहर गए और सुबह होने के इंतजार में आराम करने लगे थे। दूसरी ओर मौनी अमावस्या की भीड़ बढ़ती जा रही थी। दबाव भी बढ़ रहा था। इसी वजह से वहां भगदड़ मच गई।

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