पंजाब: ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों लिए गुड न्यूज़

रेलवे बोर्ड ने चंडीगढ़ से चलने वाली सभी ट्रेनों में लिंक हॉफमैन बुश (एल.एच.बी.) कोच लगाने को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। रेलवे ने इस बारे में अम्बाला मंडल के उच्चाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। रेलवे बोर्ड जानना चाहता है कि चंडीगढ़ से चलने वाली कितनी ट्रेनों में आई.सी.एफ. कोच और एल.एच.बी. कोच लगे हुए हैं। इन कोचों की संख्या के अनुपात में ही चंडीगढ़ से चलने वाली ट्रेनों के लिए एल.एच.बी. कोच दिए जाएंगे। ये नए कोच लगाने के कई फायदे हैं। इनमें कोचों में स्लिपर की 80 और थर्ड ए, सी. में 72 सीटें हो जाएंगी। रेलवे का दावा है कि एल.एच.बी. कोच लगाए जाने से ज्यादा यात्रियों को यात्रा की सुविधा के साथ ही इन कोचों के रख- रखाव में खर्च भी कम आता है। किसी हादसे में भी यह कोच एक दूसरे के ऊपर चढ़ते नहीं हैं।

अभी 4 ट्रेनों में नहीं है एल.एच.बी. कोच
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से चलने वाली 4 ट्रेनों में अभी एल.एच.बी. कोच नहीं लगाए गए हैं। इन ट्रेनों में रेलवे नए कोच लगाने की तैयारी की जा रही है। जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से चलने वाली चंडीगढ़-लखनऊ सद्भावना एक्सप्रैस, चंडीगढ़-प्रयागराज ऊचाहॉर एक्सप्रैस, चंडीगढ़-फिरोजपुर एक्सप्रैस और चंडीगढ़-रामनगर में ये कोच लगाए जाएंगे। एक्सप्रैस

पहले सिर्फ सुपरफास्ट ट्रेनों में लगाए जाते थे ये कोच
रेलवे बोर्ड की ओर से पहले एल.एच.बी. कोच सिर्फ तेज गति वाली ट्रेनों में ही लगाया जाता था। गतिमान एक्सप्रैस, शताब्दी एक्सप्रैस और राजधानी एक्सप्रैस ट्रेनों में ये कोच था। अब रेलवे बोर्ड सभी ट्रेनों में एल.एच.बी. कोच लगाने की तैयारी की जा रही है।

5 साल ज्यादा चलते हैं ये कोच
रेल में नीले रंग के कोच इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आई.सी.एफ.) कहा जाता है। आई.सी.एफ. कोच लोहे से बनाए जाने की वजह से इनकी लाइफ 25 वर्ष है। इनका उपयोग यात्री बोगी के तौर पर किया जाता है और फिर सेवा से हटा दिया जाता है। लाल रंग के कोच को लिंक हॉफमेन बुश (एल.एच.बी.) कहा जाता है। एल. एच.बी. कोच स्टेनलेस स्टील से बनते हैं। इनकी लाइफ 30 वर्ष होती है।

दोनों कोचों में अंतर आई.सी.एफ.

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आई.सी.एफ.) चेन्नई, तमिल नाडु में स्थित है।

ये लोहे से बनाए जाने की वजह से भारी होती है। इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है।

अधिकतम गति 110 किमी प्रति घंटा है।

डुल बुफ्फर सिस्टम के कारण दुर्घटना के समय डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं। क्योंकि इसमें होता है।

एल.एच.बी.

एल.एच.बी. कोच कपूरथला में बनते हैं और कोच कोच जर्मनी से भारत लाए गए है।

कोच स्टेनलेस स्टील से बनाए जाने की वजह से हलके होते हैं।

इसमें डिस्क ब्रेक का प्रयोग होता है।

अधिकतम गति 200 किमी प्रति घंटा है और इसकी परिचालन गति 150 किमी प्रति घंटा है।

दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते हैं क्योंकि इसमें सेंटर बुफ्फर कपलिंग सिस्टम होता है।

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