पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो सकता है इजाफा, यह तूफान बिगाड़ सकता है आपके घर का बजट

लगातार बढ़ रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों से फिलहाल आम आदमी को राहत मिलने के आसार नहीं नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मु्ताबिक, प्रशांत महासागर में तूफान के चलते देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और इजाफा हो सकता है। दरअसल, पिछले साल भी ऐसा देखा गया है कि प्रशांत महासागर, कैरीबियन सागर और मेक्सिको की खाड़ी में आए तूफान से तेल की कीमतें बढ़ी थी। यह तूफान जून से शुरू होता है और नवंबर तक चलता है।पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो सकता है इजाफा, यह तूफान बिगाड़ सकता है आपके घर का बजट

हालांकि ऐसे खतरनाक तूफान कभी भी आ सकते हैं, लेकिन मध्य अगस्त से अक्टूबर के अंत तक पीक सीजन माना जाता है। ऐसे में तेल के दामों में बढ़ोतरी इसलिए आ जाती है क्योंकि समुद्री तट पर तेल रिफाइनरी होती है। साथ ही भारत में ईधन का मूल्य अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ा हुआ है और रुपये-डॉलर विनिमय दर, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी बढ़त की वजह है। 
 
पेट्रोल के दाम अगले महीने से होंगे कम
वहीं, दूसरी तरफ केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अगले महीने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी आने की बात कही है। उन्होंने कहा कि एक जुलाई के बाद संभावना है कि तेल की कीमतें और कम होंगी और इससे लोगों को राहत मिलेगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओपेक ने हर रोज एक मिलियन बैरल उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। एक जुलाई से यह बाजार में आना शुरू होगा। हमारा अनुमान है कि इससे पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में कमी आएगी। 

उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल के दिनों में ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों और वेनेजुएला में राजनीतिक अस्थिरता से तेल उत्पादन में कटौती से पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर लोगों के अंदर उठे तूफान को तो शांत करने में शायद सफल रही, लेकिन अमेरिका के खाड़ी तट से तूफान उठा तो उसे एक बार फिर इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि पिछले साल सितंबर-अक्टूबर के महीने में भारत में तेल की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई थी। इसकी वजह अमेरिकी खाड़ी तट पर तूफान हार्वे और इरमा की दस्तक थी।

सरकार ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों एवं वेनेजुएला की ओर से तेल उत्पादन में कटौती से पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों पर लोगों के अंदर उठे तूफान को तो शांत करने में शायद सफल रही, लेकिन अमेरिका के खाड़ी तट से तूफान उठा तो उसे एक बार फिर इसका सामना करना पड़ सकता है।

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