प्रसव पूर्व जांच कराएं, जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाएं
गर्भावस्था में डायबिटिज की भी जांच जरूरी : डॉ. जैसवार
लखनऊ : प्रसव पूर्व जांच कराकर गर्भवती खुद अपने साथ गर्भस्थ शिशु को भी स्वस्थ एवं सुरक्षित बना सकती हैं| उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की पहचान होने से सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी प्रबंध पहले से किए जा सकते हैं और जच्चा-बच्चा को जोखिम से बचाया जा सकता है| पंजीकृत कुल गर्भवती में से 5 से 10 फीसद महिलाओं में उच्च जोखिमयुक्त गर्भावस्था की संभावना होती है| गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव, दौरे पड़ना, बाधित प्रसव, टीबी, अत्यधिक एनीमिया, डायबिटीज, अत्यधिक उच्च रक्तचाप और दिल की बीमारी आदि ऐसी समस्याएं हैं जो उच्च खतरे की गर्भावस्था की ओर इशारा करती हैं| सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जाँचें निःशुल्क की जाती हैं| इसके साथ ही हर माह की नौ तारीख को उच्च जोखिम की गर्भावस्था की पहचान करने एवं आवश्यकता पड़ने पर उच्च स्वास्थ्य केंद्रों पर संदर्भित करने हेतु प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस मनाया जाता है|गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज भी गर्भवती के लिए जोखिम वाली हो सकती है| गर्भवती को अत्यधिक भूख लगना, सामान्य से अधिक प्यास लगना, अत्यधिक यूरिन का होना, वज़न कम होना, धुंधला दिखना, गुप्तांग में बार-बार इन्फेक्शन होना, घावों का न भरना आदि डायबिटीज के लक्षण होते हैं|
क्वीन मेरी अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. एस.पी.जैसवार बताती हैं – कभी-कभी गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज हो जाती है ऐसे में गर्भ धारण करते ही स्वास्थ्य सुविधा पर जल्द से जल्द पंजीकरण करवाकर प्रसवपूर्व जाँचें करवानी चाहिए| इसमें डायबिटीज की जांच भी करवानी चाहिए| डायबिटीज होने का एक मुख्य कारण तनाव है| गर्भवस्था में भी तनाव की स्थिति होती है| ऐसे में गर्भवती को डायबिटीज हो जाती है| इसके अलावा यदि गर्भवती मोटापे से ग्रसित है या उसके माता-पिता, बहन भाई या दादा-दादी को डायबीटीज है या वह पहली गर्भावस्था में डायबिटिक रही हों या उसे पीसीओएस की शिकायत है तो गर्भवती को डायबीटीज होने की संभावना बढ़ जाती है| ऐसी गर्भवती जिनका पहले गर्भपात हुआ हो या जिनका पहले बच्चा असामान्य हो, उन्हे विशेषतया ध्यान रखना चाहिए और प्रशिक्षित चिकित्सक से गर्भावस्था के दौरान जाँचें जरूर करवानी चाहिए| जांच के बाद गर्भवती में यदि डायबिटीज निकलती है तो दवाओं या खान-पान के द्वारा इसे नियंत्रित किया जाता है| खाने में गेंहू, शक्कर और चावल कम कर देना चाहिए| मोटे अनाज जैसे चना, बाजरा,मक्का जौ को अपने भोजन में गर्भवती शामिल करे| एक साथ अधिक भोजन करने के बजाय थोड़ा-थोड़ा खाना खाए| अगर संभव हो तो पैदल चलें| ज्यादा मात्रा में पानी पियें और तनाव मुक्त रहें|