आधार पर पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी इजाजत
केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सीईओ को आधार योजना से जुड़ी चिंताओं को निर्मूल साबित करने के लिएअदालत में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन देने की अनुमति दे. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने आधार और आधार को मंजूरी देने वाले कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह पांच सदस्यीय संविधान पीठ के अन्य जजों से विचार- विमर्श करने के बाद प्रेजेंटेशन का समय तय करेंगे. इस संविधान पीठ के अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा हैं.
पीठ ने कहा कि आधार योजनाओं से जुड़े कई तकनीकी मामले हैं, जैसे सर्विलांस, डेटा सुरक्षा और आधार नहीं होने या आधार की अनुपलब्धता के कारण कुछ लोगों को लाभ से वंचित रखना. केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कहा कि यूआईडीएआई के सीईओ इन तकनीकी पहलुओं पर ज्यादा स्पष्टता से जानकारी दे सकेंगे.
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के दो पहलू हैं. एक में भोजन का अधिकार और शिक्षा का अधिकार आता है, जबकि दूसरा स्व-विवेक के अधिकार और निजता के अधिकार से जुड़ा है. उन्होंने कहा, सवाल यह है कि कौन सा पहलू मान्य होता है. उन्होंने कहा कि जीवन के अधिकार जैसे मौलिक अधिकारों को स्व-विवेक और निजता के अधिकार पर तरजीह दी जानी चाहिए.
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आधार हुआ अनिवार्य
बता दें कि आधार से कई तरह की सेवाओं को लिंक करना बाध्यकारी किया जा चुका है. आधार से बैंक खातों को जोड़ने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2017 और मोबाइल से जोड़ने की अंतिम तिथि छह फरवरी 2018 थी. इसी तरह आधार को पैन और इंश्योरेंस पॉलिसी से भी लिंक करवाना अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार ने 3 मुख्य दस्तावेजों को आधार से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया था. इन दस्तावेजों से आधार को जोड़ने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2018 रखी गई थी. इसके तहत आधार से पेन को जोड़ना भी शामिल था. पहले आधार से पैन को जोड़ने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2017 रखी गई थी, लेकिन बाद में सरकार ने इसे बढ़ाकर 31 मार्च 2018 कर दिया.