पोस्ट कोविड कैंसर से लड़ने की क्षमता कम हुई, डिप्रेशन-डिमेंशिया बढ़ा; टॉप 27 डॉक्टरों ने दी खास जानकारी

कोरोना संक्रमण का खतरा भले ही खत्म हो गया है, लेकिन बीमारियों का प्रकोप कम नहीं हुआ है। कोविड संक्रमण का जहां बच्चों की सेहत पर असर पड़ा है, वहीं गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग भी प्रभावित हुए हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी इसका असर पड़ा है।

चिकित्सकों ने कोरोना काल के बाद के अपने अनुभवों को साझा किया। डॉक्टरों के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद बीमारियों में इजाफा हुआ है, वहीं लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता भी आई है। खुद को फिट रखने के लिए ध्यान, योग, प्राणायाम भी लोग कर रहे हैं। अस्पतालों में बेड, जांच सहित अन्य संसाधनों की मानीटरिंग करने की जरूरत है।

पोस्ट कोविड एसओपी होना जरूरी
जिस तरह से कोरोना काल में बेड और इलाज का संकट रहा। इसको लेकर सरकार ने समय-समय पर एसओपी जारी की। इसी तरह पोस्ट कोविड एसओपी बनाए जाने की जरूरत है। कोरोना संक्रमण के बाद अब जोड़ों में दर्द, कूल्हे में दर्द वाले मरीज भी खूब आ रहे हैं। इसको लेकर अध्ययन की जरूरत है, जिससे कि बीमारियों पर अंकुश लगाने में सफलता मिल सकेगी। – प्रो. सौरभ सिंह, प्रभारी ट्रॉमा सेंटर

कैंसर से लड़ने की क्षमता भी हुई कम
कोरोना संक्रमण का असर कैंसर के मरीजों पर भी देखने को मिल रहा है। जिस तरह से संक्रमित मरीजों के इलाज में स्ट्रायड का प्रयोग हुआ, उससे मरीजों में बीमारी से लड़ने की क्षमता भी कम हुई है। इसकी प्रमुख वजह पर अध्ययन की जरूरत है। इसके लिए मरीजों का डेटा जुटाया है। – प्रो. मनोज पांडेय, सर्जिकल आंकोलॉजी

डिमेंशिया, नींद न आने की बढ़ी समस्या
कोरोना काल के बाद डिमेंशिया, डिप्रेशन, नींद न आने की समस्या मरीजों में ज्यादा देखने को मिल रही है। इसमें सभी प्रभावित हुए हैं। ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए न्यूरोलॉजी विभाग की ऑक्सीजन फेरीवाला मुहिम के तहत बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज हुआ। बीमारियों पर शोध भी चल रहा है। – प्रो. विजयनाथ मिश्रा, विभागाध्यक्ष न्यूरोलॉजी

किडनी संबंधी समस्या वाले मरीज भी अधिक
कोरोना काल के बाद किडनी, यूरिनरी ग्लैडर में भी समस्या हो रही है। अस्पताल में इस तरह की समस्या लेकर बहुत से मरीज आ रहे हैं। शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होने की समस्या बता रहे हैं। मेल सेक्स हार्मोन्स भी प्रभावित हुआ है। मरीजों की बीमारी के आधार पर नई जानकारियां मिले, इसके लिए अध्ययन चल रहा है। – प्रो. समीर त्रिवेदी, विभागाध्यक्ष यूरोलॉजी

महिलाओं में हेपेटाइटिस की समस्या बढ़ी
महिलाओं की सेहत पर भी कोरोना काल में हुए इलाज का असर देखने को मिला। जो महिलाएं कोविड पॉजिटिव हुई और अस्पताल में इलाज चला। उनमें कई तरह की समस्या देखने को मिल रही है। कोविड के बाद से गर्भवती महिलाओं में प्लेटलेट्स की कमी दिख रही है। इसको लेकर जागरूक भी किया जा रहा है। जागरूकता का असर हुआ कि मृत्यु दर कम हुआ है। लीवर डिजीज भी बढ़ी है। – प्रो. संगीता राय, विभागाध्यक्ष स्त्री रोग विभाग

यह भी दिखी समस्या
डेंगू, चिकनगुनिया सहित अन्य बीमारियों के मरीज भी अस्पताल में आ रहे हैं।
बच्चों में निमोनिया की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है।
कई मरीजों ने तब स्टोन नहीं निकलवाया। इस वजह से समस्या बढ़ती जा रही है।
किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों में इस तरह की समस्या हुई कि अपना ट्रांसप्लांट रद करवा दिए।
कोरोना काल के बाद बीमारियों से बचाव के लिए स्ट्रायड का प्रयोग बढ़ा है। इस पर विशेष ध्यान देना होगा।
पोस्ट कोविड मधुमेह वाले मरीजों में रेटिनोपैथी के अलावा आंख की अन्य बीमारी बढ़ी है।
फैटीलीवर और लाइफ स्टाइल डिसआर्डर के केस बढ़े हैं। इसमें आयुर्वेदिक दवाइयों की उपयोगिता भी बढ़ी है।

Back to top button