राजस्थान में नए जिलों को लेकर राजनीति तेज

राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि राज्य सरकार नए जिलों की समीक्षा के नाम पर प्रदेश में अस्थिरता और असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर रही है। अपनी नाकामी छिपाने के लिए भजनलाल सरकार नए जिलों में कटौती के मंसूबे बना रही है।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि नए जिलों और संभागों का मुद्दा अत्यंत संवेदनशील है और प्रदेश के दूरगामी हितों से जुड़ा हुआ है। इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार राजस्थान विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए और सदन को विश्वास में ले।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार ने नए जिलों को लेकर अपनी रिपोर्ट दो महीने पहले राज्य सरकार को सौंप दी है। सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों की सब-कमेटी इसके आधार पर नए जिलों की समीक्षा की बात कर रही है। लेकिन सरकार के मंत्री नए जिलों को लेकर निरंतर विवादास्पद बयान देते रहे हैं। अनेक नए जिलों के प्रति भजनलाल सरकार के मंत्रियों का पूर्वाग्रह जगजाहिर है।

जूली ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने नए जिलों और संभागों की घोषणा अपने बजट भाषण में सदन के समक्ष की थी। नए जिलों और संभागों के गठन से पूरे प्रदेश में जनता में एक नया उत्साह बना था। प्रदेश की आधारभूत एवं प्रशासनिक संरचना सुदृढ़ हुई थी और विकास के नये आयाम स्थापित होने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। यह इतना बड़ा सकारात्मक निर्णय था कि अन्य जिलों और संभागों के गठन की मांग भी उठने लगी। 

जूली ने कहा कि भाजपा ने राज्य में सत्ता में आने के बाद इस अभिनव फैसले पर विवाद उत्पन्न करने की चेष्टा की। सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों ने जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया। अनेक नए जिलों के प्रति सरकार के मंत्रियों का रवैया राजनीतिक पूर्वाग्रह से ग्रस्त है। भजनलाल सरकार इस कदर पूर्वाग्रह से ग्रस्त है कि मंत्रियों की सब-कमेटी का संयोजक पहले तो उप-मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को बनाया गया। इसके बाद इसका संयोजक शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को बना दिया गया। 

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि भाजपा सरकार की जिम्मेदारी यह है कि वह नवगठित जिलों और संभागों की आधारभूत संरचना सुदृढ़ करने की दिशा का रोडमैप तैयार करे। लेकिन भजनलाल सरकार चूंकि एक अदूरदर्शी और नकारा सरकार साबित हुई है। दिल्ली से आने वाली पर्ची को पढ़कर काम करती है और बात-बात में ‘यू-टर्न’ लेती है। इसलिए नए जिलों और संभागों के संवेदनशील मुद्दे पर सरकार का मानस पूर्वाग्रह से ग्रस्त नजर आ रहा है। 

जूली ने कहा कि भजनलाल सरकार इस मुद्दे पर राजस्थान विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सदन के सामने पूर्व आईएएस अधिकारी ललित के पंवार की रिपोर्ट रखे और मंत्रियों की सब-कमेटी भी अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखे। इन दोनों रिपोर्ट पर सदन में खुली चर्चा हो तथा प्रदेश के दूरगामी हित में नए जिलों और संभागों पर एक सकारात्मक निर्णय लिया जाए। जहां अतिरिक्त नए जिलों और संभागों के गठन की जरूरत है। उन्हें लेकर भी सदन में खुली चर्चा हो।

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