शुरू हुई बजट पर राजनीति: केजरीवाल बाेले, ‘केंद्र ने नहीं मानी हमारी मांग’

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश बजट से केजरीवाल सरकार मायूस हुई। बजट और उसके बाद दिल्‍ली सरकार की ये प्रतिक्रिया आनी लाजमी थी। हर बार की तरह इस बार भी बजट पर सियासत भी शुरू हो गई है।

शुरू हुई बजट पर राजनीति: केजरीवाल बाेले, 'केंद्र ने नहीं मानी हमारी मांग'

सीलिंग और तमाम मसलों पर उलझी दिल्‍ली सरकार के पास बजट के माध्‍यम से एक बार फ‍िर केंद्र सरकार को घेरने का मौका मिला है। केंद्र सरकार के इस बजट को लेकर एक बार फ‍िर दिल्‍ली की सियासत गरम होने की प्रबल आशंका है।

उसने करीब-करीब हर बार मोदी सरकार के बजट की निंदा ही की है या तंज कसा है। एक बार फ‍िर इस बजट में दिल्‍ली के हिस्‍सेदारी की चिंता पर व्‍यक्‍त करते हुए निंदा की है। इसलिए यह कयास लगाया जा रहा है कि इस बार भी बजट को लेकर दिल्‍ली की सियासत में उबाल आ सकता है।

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बजट से उम्मीद लगाए बैठी केजरीवाल सरकार को आखिरकार निराशा हाथ लगी है। गत वर्ष चालू वित्त वर्ष के लिए दिल्ली सरकार को अलग-अलग मदों के लिए कुल 757.99 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। इस वर्ष अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने कुल 790 करोड़ रुपये फंड आवंटित किया है। इसमें 325 करोड़ रुपये वह हैं जो वर्ष 2002 से लगातार दिल्ली को केंद्रीय कर संग्रह में से दिल्ली को दिया जाता है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के साथ धोखा किया है। संसद में पेश बजट में दिल्ली के विकास के लिए एक पैसा भी अतिरिक्त प्रावधान नहीं किया। मनीष सिसोदिया ने बजट के तुरंत बाद ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी।

उन्होंने लिखा कि ‘सार्वजनिक परिवहन सेवा को बेहतर करने के लिए दो हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए विशेष पैकेज की मांग की थी। लेकिन यह मांगे नहीं मानी गई। इस वर्ष भी केंद्रीय करों के हिस्से में से दिल्ली को वंचित किया गया है। केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी 18 वर्षों से 325 करोड़ रुपये स्थिर बनी हुई है।’

उक्त प्रक्रिया देने के बाद दिल्ली के वित्त मंत्री की ओर से केंद्र सरकार द्वारा पेश बजट पर विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई। जिसमें कहा गया कि पिछले दिनों विशेष रूप से केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली से दिल्ली सरकार ने अपनी बात रखी थी।

उनसे कहा गया था कि दिल्ली से केंद्र सरकार को सेंट्रल टैक्स डिडक्शन के रूप में 1.67 फीसद रुपया मिलता है। जिसमें से केंद्र सरकार दिल्ली को मात्र 325 करोड़ रुपये देती है। इस राशि को कम से कम बढ़ाकर पांच हजार करोड़ रुपया किया जाए।

मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार इस पर अपना एतराज जताएगी। वर्ष 2001-02 में दिल्ली सरकार का कुल बजट 8739 करोड़ था, अब दिल्ली सरकार का बजट बढ़कर 46 हजार करोड़ हो गया है। इस अनुपात में भी हिस्सेदारी मिलती तो दिल्ली का भला होता।

दिल्ली सरकार ने अनाधिकृत कालोनियों में विकास कार्य, नए स्कूल व अस्पतालों के निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध कराने की मांग की थी। लेकिन यह मांग भी पूरी नहीं की गई। इतना ही नहीं दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था बड़ा मुद्दा है। महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं कर रही हैं। लेकिन  बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। केंद्र शासित प्रदेशों के लिए बजट आवंटन में सरकार ने भेदभाव किया है। 

वर्ष 1984 के दंगा पीडि़तों को आर्थिक मदद के रूप में दिल्ली सरकार ने अभी तक 96 करोड़ रुपये दिए हैं। जबकि केंद्र सरकार ने इस नाम पर बजट में चालू वित्त वर्ष में 15 करोड़ रुपये और अगले वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। भूकंप के लिहाज से दिल्ली संवेदनशील जगह है। यहां अनाधिकृत कालोनियों की भरमार है। बावजूद आपदा प्रबंधन के मद में केंद्र से पांच करोड़ रुपये की राशि देने का प्रावधान किया गया है।

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