न्यायपालिका के नाम पर राजनीति उचित नहीं: किरेन रिजिज..

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखी , जिसमें उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॅालिजियम में सरकार के प्रतिनिधि शामिल होने चाहिए। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलेगा। केंद्रीय मंत्री द्वारा लिखी गई इस चिट्टी पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने सोमवार को सरकार पर न्यायपालिका को ‘कब्जा’ करने का आरोप लगाया है।

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘न्यायपालिका पर उप राष्ट्रपति से लेकर कानून मंत्री तक हमले कर रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि न्यायपालिका पर कब्जा की जाए। उन्होंने आगे कहा, कॉलिजियम में सुधार की जरूरत है। लेकिन, सरकार न्यायपालिका पर पूर्ण अधीनता चाहती है, जोकि न्यायपालिका को जहर की गोली देने के समान है।

गौरतलब है कि किरेन रिजिजू ने चीफ जस्टिस की लिखी चिट्ठी को लेकर जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘माननीय CJI को लिखे पत्र की सामग्री सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ की टिप्पणियों और निर्देशों के अनुरूप है।’ रिजिजू ने यह भी कहा, ‘विशेष रूप से न्यायपालिका के नाम पर सुविधाजनक राजनीति उचित नहीं है। भारत का संविधान सर्वोच्च है और कोई भी इससे ऊपर नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधियों और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की सरकार की मांग शीर्ष अदालत द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम को रद करते हुए सुझाई गई सटीक अनुवर्ती कार्रवाई थी।

अरविंद केजरीवाल भी सरकार के कदम की कर चुके हैं आलोचना 

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी उच्चतम न्यायालय से कॉलेजियम में अपने नामितों को शामिल करने के लिए सरकार के कदम को ‘बेहद खतरनाक’ करार दिया। इस ट्वीट पर किरेन रिजिजू ने भी रिट्वीट करते हुए जवाब दिया, ‘मुझे आशा है कि आप कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं। यह कदम (सरकार की तरफ से सीजेआई को लेटर भेजने का) राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग ऐक्ट को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के दिए निर्देशों के तहत ही उठाया गया है।’

बता दें कि रिजिजू ने बीते महीने कहा था कि कॅालिजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है। केंद्रीय मंत्री के अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी न्यायपालिका की अस्पष्टता को लेकर आलोचना कर चुके हैं। धनखड़ का कहना है कि जजों के चयन में सरकार की भूमिका होनी चाहिए।

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