कविता – रानी लक्ष्मी बाई
वीरता की देवी थी
साक्षात महाकाली थी
रण भूमि में तांडव मचाती
लक्ष्मी बाई रानी थी
रण चंडी का रूप थी
अंग्रेजों की मौत थी
बुझती झांसी का वो
इकलौता चिराग थी
युद्ध भूमि में जब चलती
उसकी तलवार थी
गाजर,मूली की तरह
अंग्रेजों को काटती
नारी थी या नारी वेश में
दुर्गा का अवतार थी
रण भूमि में तांडव मचाती
लक्ष्मी बाई रानी थी
जिद्दी और हठीली थी
जीते जी हार न मानी
स्वाभिमान की मूर्ति वो
लक्ष्मी बाई रानी थी
अंतिम श्वास तक लड़ी
स्वतंत्रता की चिंगारी थी
गिरी सिंहनी सी वो धरा पर
मातृ भूमि पर जान गवायी थी
अमर हुयी इतिहास में वो
झांसी वाली रानी थी।
यह भी पढ़ें-