ग्लोबल साउथ के लिए पीएम मोदी ने की इस परियोजना की घोषणा, पढ़े पूरी ख़बर

प्राकृतिक आपदाओं और मानवीय संकट के समय विकासशील देशों को भारत आवश्यक दवाओं की आपूर्ति करेगा। साथ ही इन देशों में विकास को गति देने के लिए ‘सेंटर आफ एक्सीलेंस’ भी स्थापित किया जाएगा। वाइस आफ ग्लोबल साउथ समिट के दूसरे दिन अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह घोषणा की। उन्होंने विकासशील देशों के साथ विशेषज्ञता साझा करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पहल शुरू करने की बात भी कही है।

गुरुवार को दो दिवसीय वर्चुअल समिट की शुरुआत हुई थी। पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं आरोग्य मैत्री परियोजना का एलान करना चाहता हूं। इसके तहत भारत प्राकृतिक आपदा या मानवीय संकट से जूझ रहे किसी भी देश को आवश्यक दवाओं की आपूर्ति करेगा।’ उन्होंने ग्लोबल साउथ सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना का एलान भी किया। यह संस्थान ग्लोबल साउथ के किसी भी देश के विकास संबंधी समाधान एवं श्रेष्ठ प्रक्रियाओं पर शोध करेगा और अन्य सदस्य देशों में उन्हें लागू करने की संभावना तलाशेगा।

पिछले तीन साल विकाशसील देश के लिए रहे चुनौतीपूर्ण: पीएम मोदी 

मोदी ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। विकासशील देशों के साथ विशेषज्ञता साझा की जाएगी। कोविड काल की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘पिछले तीन साल चुनौतीपूर्ण रहे हैं, विशेषरूप से विकासशील देशों के लिए। महामारी की चुनौती, ईंधन, उर्वरक एवं अनाज की बढ़ती कीमतों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव ने हमारे विकास के प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव डाला। हालांकि नया साल नई उम्मीदों का समय है। हमें ऐसे वैश्वीकरण की आवश्यकता है, जिसमें असमान बंटवारा न हो।

हमें मानवता को केंद्र में रखकर होने वाला वैश्वीकरण चाहिए। विकासशील देश ऐसा वैश्वीकरण नहीं चाहते जो जलवायु संकट या कर्ज संकट का कारण बन जाए।’ मोदी ने कहा कि सम्मेलन में 120 से ज्यादा विकासशील देशों ने हिस्सा लिया। सभी देश दक्षिण-दक्षिण के गठजोड़ के महत्व एवं साथ मिलकर वैश्विक एजेंडा को आकार देने पर सहमत हैं।

विकासशील देशों के लिए भारत नई छात्रवृत्ति योजना चलाएगा भारत 

युवाओं को मिलेगा अवसरपीएम मोदी ने कहा कि भारत विकासशील देशों के छात्रों के लिए नई छात्रवृत्ति योजना चलाएगा। इसके माध्यम से उन्हें भारत में उच्च शिक्षा का मौका मिलेगा। विदेश मंत्रालय के युवा अधिकारियों को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए भी नया फोरम स्थापित किया जाएगा। मोदी ने कहा, ‘राजनयिक सामन्य के लिए मैं ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमेट्स फोरम’ का प्रस्ताव रखता हूं, जिसके माध्यम से हमारे विदेश मंत्रालयों के युवा अधिकारी एक-दूसरे के संपर्क में आ सकेंगे।’

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