परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को रील्स पर समय ना बर्बाद करने की दी सलाह
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर रील्स का खास ट्रेंड है। कई लोग इन्हें देखते हुए घंटों बिता देते हैं। हाल ही में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को इसपर वक्त बर्बाद ना करने की सलाह दी है। क्या आप भी खाते-पीते या उठते-बैठते रील्स देखते रहते हैं तो जान लीजिए इसके नुकसान।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 29 जनवरी को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम को संबोधित किया, जिसमें स्कूली बच्चे और पैरेंट्स भी शामिल हुए। यहां पीएम ने बच्चों से रील्स पर समय बर्बाद ना करने की अपील की। उन्होंने कहा, रील्स देखने में अपना वक्त ना बर्बाद करें, बल्कि पढ़ाई पर ध्यान दें। उन्होंने कहा इस उम्र में बच्चों को अच्छी नींद लेनी चाहिए, भरपूर नींद और अच्छी डाइट बहुत जरूरी होती है। पीएम यहां सलाह देते नजर आए कि मोबाइल देखने का एक समय तय करें, हर वक्त मोबाइल देखना अच्छी बात नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा कि जैसे मोबाइल को रिचार्ज करना पड़ता है, ठीक वैसे ही बॉडी को भी रिचार्ज करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पढ़ने को बोलो तो सिर्फ पढ़ते ही रहना या खेल रहे हैं को खेलते ही रहना भी अच्छा नहीं है, लाइफ में बैलेंस यानि संतुलन जरूरी है। आइए जानें जिंदगी को बैलेंस करने के तरीके, जिनकी ओर पीएम इशारा कर रहे थे। साथ ही, आपको बताएंगे रील्स पर वक्त बर्बाद करने के नुकसानों के बारे में।
‘रील्स’ देखने के साइड इफेक्ट्स
– अगर आप ज्यादा रील्स देखते हैं तो इससे आपको इसकी बुरी लत लग सकती है। यही आगे चलकर बेचैनी की वजह भी बन सकती है, यानि ऐसी कंडीशन जब रील्स देखे बिना आप रह ही नहीं पाएंगे।
– आपको भी ज्यादा रील्स देखने की आदत है तो इससे बीपी में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है, यह आदत आपकी फिजिकल हेल्थ के लिए काफी नुकसानदायक है।
– ज्यादा रील्स देखने की आदत से स्लीपिंग शेड्यूल बिगड़ जाता है, जो कि अच्छी मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं है।
– पर्सनल लाइफ भी इससे प्रभावित होती है। हर वक्त फोन में लगे रहने से आपकी दिनचर्या बिगड़ जाती है।
– इस आदत से आप सोशल लाइफ से एक प्रकार से कट जाते हैं और वर्चुअल जिंदगी को ही सच मान बैठते हैं।
– घंटों रील्स देखने का चस्का अगर आपको भी लगा हुआ है, तो जान लीजिए कि ये आपकी आंखों की रोशनी के लिए भी काफी खराब है।
– अक्सर लोग रील्स देखकर खुद को दूसरों से कंपेयर करने लगते हैं, जो कि आगे चलकर डिप्रेशन को कारण भी बन सकता है।