शादी के संगीत में बजा ये फिल्मी गाना, लोगों ने बताया इसे परफेक्ट

संगीत की दुनिया में लोगों की पसंद भी कई कारणों से होती है. पहले के जमाने तो लोग केवल गीत रेडियो पर ही सुन कर लोग पसंद कर लिया करते थे. लेकिन कम लोगों को परदे के रूपांरण की वजह से गाने पसंद आया करते थे. इसके बाद टीवी और आज तो सोशल मीडिया के जमाने में वीडियो सॉन्ग भी लोगों को आकर्षित करते हैं. वहीं कई लोग कुछ गानों को उनकी फिल्मांकन के लिए भी पसंद करते हैं. वहीं आज सोशल मीडिया पर लोग बैकग्राउंड में गाने  बजा कर अनूठे वीडियो बना देते हैं जो इसी वजह से वायरल होते हैं. ऐसा ही एक वीडियो को लोग पसंद कर रहे हैं. इसमें एक फिल्म के गाना वीडियो के हालात बखूबी फिट बैठ रहा है.

यह गाना शादी के समय लेडीज संगीत का लग रहा है. गाना फिल्म प्रेम रोग के गीत, “ये गलियां ये चौबारा” है. यूं तो फिल्म में भी यह गाना भी शादी की तैयारियों के मौके पर फिल्माया गया है, इसके एक हिस्से लड़की की शादी के बाद विदाई के स्थिति की बात करती दिखती है. लेकिन इस वायरल वीडियो में यही सिचुएशन लोगों को ज्यादा सटीक नजर आई.

गाने में होने वाली दुल्हन डांस करते समय अपनी मां को बीच में लाती है और पीछे से इस गाने के ये बोल गूंज रहे होते हैं, “आ मां ऐ मिल ले गले, चले हम ससुराल चले, तेरे आंगन में अपना, बस बचपन छोड़ चले, कल भी सूरज निकलेगा, कल भी पंछी गाएंगे, सब तुझको दिखाई देंगे, पर हम न नज़र आएंगे, आंचल में संजो लेना हमको, सपनों में बुला लेना हमको, अब हम तो भए परदेसी के तेरा यहां कोई नहीं, के तेरा यहां कोई नहीं”

वीडियो को इंस्टाग्राम पर wedding____vibes80 अकाउंट से शेयर किया गया है जिसे 2 करोड़ 15 लाख व्यूज मिले हैं.  बहुत से लोगों ने इसे पसंद करते समय यही कहा है कि गाने की सिच्यूएशन यही सटीक लग रही है. एक यूजर ने पूछा है, “किस किस की आंख भर आई ये वीडियो देखने के बाद?” सुखदेव सिंह ने अपने मार्मिक कमेंट में लिखा है, “शादी की धूमधाम तो खूब अच्छी लगती है लेकिन जब विदाई होती है तो वो क्षण बहुत ही भावुक होता है”

“एक प्यारी बिटिया जो अपना सब कुछ त्याग कर पति के संग अपनी सारी ज़िंदगी संवारने खुशहाल रहने प्यार सम्मान पाने के खूब सारे प्यारे ख़्वाब लेकर विदा होती है वो पल ज़िंदगी का बेहद भावुक पल होता है . माता पिता जब अपनी दुलारी को विदा करते हैं तब उनके दिल में ख़ुशी के जो आंसू छलकते हैं गला भर आता है उस एहसास को शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता”

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