‘पेपर स्ट्रॉ की जगह प्लास्टिक स्ट्रॉ’, ट्रंप ने बाइडन के फैसले को किया खत्म

 अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं। अभी तक टैरिफ, ट्रांसजेंडर, कई देशों पर कब्जे की धमकी समेत कई मुद्दों पर वो फैसला सुना चुके हैं। अब उन्होंने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर चर्चा की है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह पेपर स्ट्रॉ के इस्तेमाल पर बैन लगा रहे हैं। उन्होंने कहा, पेपर स्ट्रॉ बहुत लंबे समय तक नहीं चल पाते हैं। इसके बजाय वह चाहते हैं कि सरकार विशेष रूप से प्लास्टिक की ओर बढ़े। हम प्लास्टिक स्ट्रॉ की ओर वापस जा रहे हैं। 

ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर किए हस्ताक्षर

ट्रंप ने कागज के स्ट्रॉ को प्रोत्साहित करने और प्लास्टिक स्ट्रॉ को प्रतिबंधित करने वाली संघीय खरीद नीतियों में बदलाव के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।

ये आदेश संघीय एजेंसियों को पेपर स्ट्रॉ खरीदना बंद करने का निर्देश देता है और अन्यथा यह सुनिश्चित करें कि एजेंसी बिल्डिंग के अंदर अब पेपर स्ट्रॉ अब उपलब्ध नहीं कराए जाएंगे।

प्लास्टिक को लेकर क्या था बाइडन का फैसला?
कई अमेरिकी राज्यों और शहरों ने प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध लगा दिया है।
ट्रंप का यह कदम पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन की उस नीति को उलटने के लिए है, जिसमें साल 2027 तक सरकारी संस्थानों में सिंगल-यूज प्लास्टिक (जैसे स्ट्रॉ) पर रोक लगाने का फैसला किया गया था।
बाइडन प्रशासन का लक्ष्य 2035 तक सभी सरकारी कार्यालयों में प्लास्टिक का उपयोग खत्म करना था।
इसे लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, अब अपने ड्रिंक का मजा बिना किसी गीले और बेकार पेपर स्ट्रॉ के लें! उन्होंने बाइडन की नीति को ‘खत्म’ घोषित किया।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले साल प्लास्टिक के इस्तेमाल को धीरे-धीरे खत्म करने की योजना की शुरुआत की थी। बाइडन ने प्लास्टिक प्रदूषण को ‘संकट’ बताया था। बाइडन का लक्ष्य था कि 2027 तक अमेरिका से प्लास्टिक के इस्तेमाल को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा और उसकी जगह पेपर स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जाएगा।

पर्यावरणविदों ने राष्ट्रपति के फैसले की आलोचना की
वहीं पर्यावरणविदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले की कड़ी आलोचना की है। कई अमेरिकी राज्यों और शहरों ने पहले ही प्लास्टिक स्ट्रॉ पर प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि वे समुद्रों और जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं और जलीय जीवों को नुकसान पहुंचाते हैं।

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