शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग वाली याचिका पर मुस्लिम पक्ष की बहस नहीं हुई पूरी

इलाहाबाद उच्च न्यायालय मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग करने वाले वाद की पोषणीयता के संबंध में दायर याचिका पर अगली सुनवाई 29 फरवरी को करेगा। इस याचिका में दावा किया गया है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर किया गया है। कल यानी शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई और यह सुनवाई हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई। याचिकाओं की पोषणीयता पर बहस हुई। कल मुख्य रूप से मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की।

इस मामले में सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने अगली सुनवाई 29 फरवरी को करने का आदेश दिया। शुक्रवार को बहस जारी रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश हुईं वक्फ बोर्ड की अधिवक्ता तसलीमा अजीज अहमदी ने दलील दी कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्म सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत जिस जमीन पर मस्जिद खड़ी है, वह जमीन मस्जिद कमेटी को दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि बाद में इस समझौते की पुष्टि एक अदालत ने 1974 में एक आदेश पारित कर की थी। वकील ने कहा कि मौजूदा वाद उस समझौते और अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए दायर किया गया है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती।

इससे पूर्व, बृहस्पतिवार को अहमदी ने दलील दी थी कि यह वाद पोषणीय नहीं है, क्योंकि वक्फ कानून के प्रावधानों और पूजा स्थल अधिनियम 1991 के तहत इस पर सुनवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा था कि जिस विवादित संपत्ति पर शाही ईदगाह मस्जिद है, वह संपत्ति वक्फ की है। उनकी दलील थी कि मौजूदा विवाद वक्फ की संपत्ति से जुड़ा है और इस प्रकार से इस मामले पर सुनवाई का अधिकार क्षेत्र केवल वक्फ अधिकरण के पास है और दीवानी अदालत के पास इस मामले में सुनवाई का अधिकार क्षेत्र नहीं है। पिछले वर्ष मई में उच्च न्यायालय ने श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी 15 वादों को सुनवाई के लिए मथुरा की अदालत से अपने पास मंगा लिया था।

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