अफगानिस्तान में मानवीय संकट से जूझ रहे लोगों ने किया वित्तीय सहायता का अनुरोध, तालिबान ने लगाए ये प्रतिबंध

अफगानिस्तान में मानवीय संकट से जूझ रहे लोगों ने वित्तीय सहायता का अनुरोध किया है। अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत के लोगों ने तालिबान शासन और संघर्षों के बीच ध्वस्त घरों को फिर से बनाने के लिए आर्थिक सहायता की मांग की है। क्योंकि प्रांत के लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है और वे वित्तीय संकट से गुजर रहे हैं। TOLO News की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत के स्थानीय लोग लंबे समय से हिंसा से प्रभावित हैं। वित्तीय संकट ने अब उन्होंने की पीड़ा को और बढ़ा दिया है, क्योंकि अधिकांश अपने घरों का पुनर्निर्माण करने में सक्षम नहीं हैं।

बमबारी से ग्रस्त है हेलमंद प्रांत

अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में स्थित संगिन जिले की निवासी फातिमा ने कहा, ‘एक बमबारी के दौरान परिवार के 12 लोगों की मौत हो गई थी और मैं अकेली बच गई थी। उस बमबारी में मेरे एक चाचा भी मारे गए थे।’ अफगानिस्तान में तालिबान शासन की निंदा करते हुए, हेलमंद के एक अन्य नागरिक अब्दुल शकूर ने कहा, ‘बमबारी के दौरान ये दीवारें टूट गई थीं। हमने घर बनाने के लिए इन दीवारों का पुनर्निर्माण किया।’ TOLO News की रिपोर्ट के अनुसार, नाद अली जिले के निवासी अब्दुल राशिद ने कहा, ‘यहां हमारे सभी घर ढह गए।’

अधिकारियों ने दावों का किया खंडन

बता दें कि स्थानीय हेलमंद अधिकारियों ने लोगों के सभी दावों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने मानवीय संगठनों की वित्तीय सहायता से प्रांत के युद्धग्रस्त क्षेत्रों में ध्वस्त घरों के पुनर्निर्माण पर काम शुरू कर दिया है। मालूम हो कि हेलमंद में अब बम धमाका सामान्य हो गया है। इससे पहले 4 सितंबर को अफगानिस्तान के हेलमंद प्रांत में एक विस्फोट में तीन बच्चों की मौत हो गई थी और तीन अन्य घायल हो गए थे। पिछले महीने, राजधानी काबुल में कई विस्फोट हुए थे, जिनमें दर्जनों निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। TOLOnews के अनुसार, कई अधिकार समूहों ने कहा कि तालिबान ने मानवाधिकारों और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने के लिए कई वादों को तोड़ा है।

तालिबान ने लगाए कई प्रतिबंध

बता दें कि पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद तालिबानियों ने महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों पर कई प्रतिबंध लगाए। तालिबान ने मीडिया को दबा दिया और मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में लिया और उन्हें प्रताड़ित किया। तालिबान ने कई आलोचकों और कथित विरोधियों को मार डाला।

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