मणिपुर में अभी भी शांति तनावपूर्ण…

मणिपुर में जारी हिंसा भले ही थम गई है, लेकिन यह शांति तनावपूर्ण ही है। कई जिलों में सेना की बड़ी तैनाती है और फ्लैगमार्च किए गए हैं। इस बीच मणिपुर से 2250 लोगों ने बीते तीन दिनों में असम में शरण ली है। अधिकारियों के मुताबिक 300 लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने मिजोरम में शरण ली है। असम के काछार जिले में 8 शेल्टर कैंप बनाए गए हैं। जिले के एक अधिकारी ने बताया, ‘शुक्रवार रात से ही मणिपुर के लोगों ने असम की तरफ आना शुरू कर दिया था। रविवार शाम तक कुल 2252 लोग आए गए थे। इनमें ज्यादातर बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं हैं।’ बड़े पैमाने पर पीड़ितों के घर जला दिए गए और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।

इसके अलावा 300 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है क्योंकि वहां उनके रिश्तेदार थे। यही नहीं सीमावर्ती कस्बे मोरेह में रहने वाले मैतैई समुदाय के 300 लोग म्यांमार की सीमा में चले गए और वहां शरण मांगी है। यह ऐसे समय में हुआ है, जब खुद मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने म्यामांर से आए 500 शरणार्थियों को प्रदेश में रहने की मंजूरी दी है। मोरेह के एक शख्स ने बताया, ‘मोरेह के करीब 300 मैतेई समुदाय के लोगों ने सीमा पार करके म्यांमार में एंट्री ली है। हम में से ज्यादातर लोगों ने असम में ही शरण ली है।’ उन्होंने कहा कि म्यांमार में 300 लोग सुरक्षित ठिकाने की तलाश में गए हैं, लेकिन वहां उनकी सिक्योरिटी को लेकर हमें चिंता हो रही है।

काछार जिले के डिप्टी कमिश्नर रोहन कुमार झा ने कहा कि यहां शरणार्थियों को पर्याप्त राशन और खाना दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में नागिरक भी मदद कर रहे हैं और शरणार्थियों को राशन और पानी की सुविधा दे रहे हैं। पुलिस सुरक्षा में तैनात और वरिष्ठ अधिकारी कैंपों का दौरा कर रहे हैं। असम में अब तक कुल 2,252 लोग पलायन करके आए हैं और 300 लोग मिजोरम गए हैं। इतने ही लोगों ने म्यांमार में शरण ली है। इस तरह कुल 3000 लोगों को मणिपुर में हिंसा के चलते प्रदेश के बाहर जाना पड़ा है।

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