‘एक देश-एक चुनाव’ के पक्षकारों से मंत्रणा करेगी संसदीय समिति
देश में सभी चुनाव एक साथ कराने के लिए प्रस्तावित ‘एक देश एक चुनाव’ बिल के लिए एक संसदीय समिति ने शुक्रवार को एक सूची तैयार की है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों के पूर्व जजों, चुनाव आयोग और विभिन्न राजनीतिक दलों से अलग-अलग बैठकें की जाएंगी। इस प्रस्तावित विधेयक के लिए व्यापक सहमति कायम की जा सके।
‘एक देश एक चुनाव’ बिल के लिए एक संसदीय समिति की बैठक में विभिन्न विपक्षी सदस्यों ने यह मांग रखी कि हरेक बैठक में विचारों के आदान-प्रदान की शब्दश: सबके लिए एक प्रति जारी की जाए।
सांसदों ने क्या रखी मांग
समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि ऐसी मांगे उचित नहीं हैं। संसदीय समितियों की रूल-बुक में ऐसा कुछ भी करने की कोई परंपरा नहीं है। हालांकि, द्रमुक के पी.विल्सन और कांग्रेस के मनीष तिवारी जैसे सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि यह मांग नियम के तहत ही रखी गई है।
इस पर चौधरी ने कहा कि वह इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से राय लेंगे। तब कांग्रेस सदस्य प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि वह विपक्षी सदस्यों की बात से सहमत हैं। लेकिन जब सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य ने सुझाव दिया कि ‘एक देश एक चुनाव’ के संबंध में देश में लोगों के बीच शैक्षणिक संस्थानों की मदद से जागरूकता लानी चाहिए तो कुछ विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई और कहा कि यह संयुक्त संसदीय समिति की सहमति के बाहर की चीज है।
विभिन्न साझेदारों और निकायों की सूची तैयार
बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष व भाजपा सदस्य चौधरी ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि इस मामले में विभिन्न साझेदारों और निकायों की एक सूची तैयार की गई है। साथ ही समिति के सदस्यों से कहा गया है कि वह विचारों और राय के लिए और नामों का सुझाव दें।
सूत्रों का कहना है कि इस सूची में संविधान विशेषज्ञों, सुरक्षा एजेंसियों, सरकारी विभागों, मीडिया संगठनों, विधि आयोग, थिंको टैंकों और शैक्षणिक संस्थानों आदि से इस संबंध में विचार-विमर्श किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 39 सदस्यीय समिति एक साथ चुनाव कराने वाले दो बिलों पर विचार-विमर्श कर रही है जिसमें से एक संविधान संशोधन है। विपक्षी दल इसे पहले असंवैधानिक करार दे चुका है।