पेरिस ओलंपिक : मुकाबला कड़ा है पर नीरज चोपड़ा रचेंगे इतिहास…

पेरिस ओलंपिक की पुरुष जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा ने एक ही प्रयास में फाइनल में जगह बना ली है। इससे सभी को नीरज चोपड़ा से उम्मीद बंध गई है। उनके कोच रहे नसीम अहमद का कहना है कि इस बार मुकाबला बेहद कड़ा है, लेकिन नीरज की सबसे अच्छी बात यह है कि वह प्रेशर में नहीं आते हैं। इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद है कि नीरज चोपड़ा इतिहास रचेंगे। वह फिर से भारत के लिए गोल्ड मेडल लेकर आएंगे।

वर्ष 2011 से 2016 तक लगातार नीरज चोपड़ा के कोच रहे नसीम अहमद रुड़की के समीप स्थित टोडा कल्याणपुर के रहने वाले हैं। वह आजकल घर आए हुए हैं। नीरज उम्मीदों पर खरे उतरे और उन्होंने एक ही बार में लक्ष्य को हासिल कर लिया।

कोच नसीम अहमद ने बताया कि इस बार का मुकाबला बेहद कड़ा है। फाइनल में नीरज के जो प्रतिद्वंद्वी हैं। उनकी परफॉरमेंस भी काफी अच्छी है। क्वालीफाइंग राउंड में नीरज चोपड़ा सबसे आगे रहे। सात एथलीट फाइनल में पहुंचे। उनमें नीरज ने भाला सबसे दूर 89.34 मीटर की दूरी पर फेंका है। उनका प्रदर्शन बेहद अच्छा रहा। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स हैं। उन्होंने 88.63 मीटर दूर भाला फेंका।

तीसरे स्थान पर जर्मनी के जूलियन वेबर ने 87.76 मीटर और पाकिस्तान के अरशद नदीम ने 86.59 मीटर दूरी पर भाला फेंक कर चौथा स्थान प्राप्त किया है। इस क्वालीफाइंग राउंड में अन्य खिलाड़ियों के भाले की दूरी में ज्यादा अंतर नहीं है। जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में यह अंतर ज्यादा नहीं होता है। नीरज चोपड़ा भी इस बात को अच्छे से समझते हैं। उन्हें भी पता है कि मुकाबला कड़ा है लेकिन नीरज की सबसे अच्छी बात यह है कि वह प्रेशर में नहीं आते हैं।

उन्हें पूरी उम्मीद है कि आठ अगस्त को होने वाले फाइनल में नीरज इतिहास रचेंगे। कोच नसीम अहमद ने बताया कि वर्ष 2011 से 2016 तक उन्होंने नीरज चोपड़ा को पंचकूला में प्रशिक्षण दिया है।

नीरज के अंदर कमाल का आत्मविश्वास है जो उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाता है। वह बिना किसी भय और दबाव के पूरे मनोयोग व जुनून के साथ प्रतियोगिता में प्रतिभाग करते हैं। यही आत्मविश्वास नीरज को सफलता दिलाता है।

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