पद्मश्री सुशील सहाय का निधन, मेंथा की नई प्रजाति की थी विकसित

मेंथा की शिवालिक प्रजाति विकसित करने वाले पद्मश्री सुशील सहाय (80) का निधन हो गया। 2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उनको पद्मश्री से सम्मानित किया था। वह पंतनगर कृषक क्लब के अध्यक्ष भी रहे।

बिलारी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष साहू सुनील सहाय के बड़े भाई व पद्मश्री साहू सुशील सहाय लंबे समय से बीमार चल रहे थे। नगलिया जट गांव स्थित फार्म हाउस हर विलास पर उन्होंने मंगलवार को अंतिम सांस ली। पद्मश्री सुशील सहाय के निधन की खबर मिलते ही उनके फार्म हाउस पर लोगों की भीड़ लग गई।

बुधवार (आज) अमरोहा के ब्रजघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बिलारी के साहू परिवार में मोहल्ला महाजनान के शंकर भवन में आठ फरवरी 1944 को सुशील सहाय का जन्म हुआ था। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की पढ़ाई की।

इसके बाद उन्होंने बिलारी में आकर खेती के काम को भी संभाला। रामपुर जिले में रामपुर इंडस्ट्री लिमिटेड के नाम से उनकी कंपनी है, जिसके अधीन कई औद्योगिक इकाईं स्थापित हैं। उन्होंने मशरूम की अच्छी पैदावार के लिए कई नए तरीके व रामपुर में ही मेंथा की फसल की नई शिवालिक प्रजाति विकसित की थी।

2005 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था। सुशील सहाय ने 1974 में कुंदरकी विधानसभा सीट से भारतीय क्राांतिदल के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि हार गए थे।

सुशील सहाय पंतनगर कृषक क्लब के अध्यक्ष भी रहे। उनके करीबियों के मुताबिक साहू सुशील घुड़सवार भी थे। सुशील बिलारी के शंकर सहाय हर सहाय कन्या इंटर कॉलेज की कार्यकारिणी के अध्यक्ष भी रहे।

सुशील सहाय के परिवार में उनकी पत्नी साहिन आशा सहाय के अलावा बेटी सुचिता व सुनैना है। सुनैना की शादी मुरादाबाद के सीएल गुप्ता निर्यात फर्म परिवार में मुदित गुप्ता से हुई है।

सुशील के छोटे भाई सुनील सहाय राष्ट्रीय स्तर पर कई कार रैली जीत चुके हैं। सुनील सहाय नगरपालिका बिलारी के अध्यक्ष भी रहे हैं।

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