टाइटेनिक डूबने से मरे थे 1500 लोग, मलबे में 40 साल से नहीं मिली किसी की हड्डी

इतिहास की हैरान करने वाली घटनाओं में से एक विशाल जहाज टाइटैनिक का डूबना शामिल किया जाता है. यहां तक कि 112 साल पहले हुई इस हादसे की भविष्यवाणी तक की चर्चा आज भी की जाती है. लेकिन यह आज भी सुर्खियों में रहता है तो इसको लेकर कई तरह के रहस्य हैं. इन्हीं में से एक रहस्य इसके डूब के मरे इंसानों के अवशेषों का गायब रहना है. साल 1985 में इसका मलबा पहली बार देखा गया था. तब से अब तक इसके कई तरह की पड़तालें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक इसमें एक भी इंसानी अवशेष, यहां तक कि हड्डियां भी नहीं मिली है. एक्सपर्ट ने इसका एक वैज्ञानिक कारण बताया है.

टाइटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा महासागरीय जहाज था जब उसने 1912 में साउथेम्प्टन से न्यूयॉर्क शहर के लिए रवाना हुआ था. दुखद रूप से, अपनी पहली यात्रा के सिर्फ़ चार दिन बाद ही जहाज उत्तरी अटलांटिक में एक हिमखंड से टकरा गया और 15 अप्रैल की सुबह, विशाल जहाज समुद्र में डूब गया. जब वह रवाना हुआ तो उसमें 2,240 यात्री सवार थे.

टाइटैनिक का मलबा 1985 में समुद्र विज्ञान के प्रोफेसर और अमेरिकी नौसेना अधिकारी रॉबर्ट बैलार्ड ने अपने गहरे समुद्र के रोबोट, आर्गोस का उपयोग करके जहाज खोज निकाला था. इतने साल बीत जाने का मतलब है कि शव सड़ गए होंगे या समुद्री जीवों ने खा लिए होंगे, फिर भी आप उम्मीद करेंगे कि जहाज़ और उसके आस-पास के समुद्री तल में कंकाल मौजूद होंगे.

हड्डियों और कंकालों की कमी का कारण टाइटैनिक की गहराई है जिस पर वह रुका था. यह लगभग 3,800 मीटर की गहराई पर समुद्र तल पर स्थित है और उस गहराई पर पानी की रासायनिक संरचना हड्डियों पर पड़ने वाले असर को बदल देती है. प्रोफेसर बैलार्ड, जिन्होंने बिस्मार्क के मलबे की भी खोज की थी, ने एनपीआर को बताया, “आपको जिस मुद्दे से निपटना है, वह यह है कि लगभग 914 मीटर से कम गहराई का समुद्री पानी कैल्शियम कार्बोनेट से घुला हुआ या भरा हुआ होता है, जो कि ज्यादातर, हड्डियों से बना होता है. जहां टाइटेनिक डूबा वहां हड्डियां घुल कर पहले ही इधर उधर हो चुकी होंगी.

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