एक थे सैम बहादुर: 71 युद्ध के हीरो सैम मानेकशॉ का अमृतसर से है गहरा नाता

सैम हारमुसजी फेमजी जमशेदजी मानेकशॉ… देश के पहले फील्ड मार्शल का अमृतसर से गहरा नाता था। उन्हें सैम बहादुर के नाम से ज्यादा जाना जाता है। हालांकि आज की युवा पीढ़ी इस नाम से कुछ अनजान है।
सैम बहादुर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के हीरो रहे है। युद्ध के दौरान वह भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष थे। वे फील्ड मार्शल का पद धारण करने वाले पहले भारतीय सैन्य अधिकारी थे। उनके पिता हारमुसजी मानेकशॉ अपने समय के प्रसिद्ध चिकित्सक थे। उन्होंने अमृतसर के कटड़ा आहलूवालिया में अपनी डिस्पेंसरी खोली थी। यह आज भी मौजूद है। इस डिस्पेंसरी में सैम बहादुर और उनके पिता से जुड़ी कई यादें आज भी मौजूद हैं।
मौजूदा समय में इस डिस्पेंसरी में शूर एंड कंपनी नाम से फार्मा की दुकान चला रहे नवीन मरवाहा ने बताया कि सैम बहादुर के पिता हारमुसजी मानेकशॉ ने 1880 में यहां पर डिस्पेंसरी शुरू की थी। उस समय पूरा शहर 12 गेटों के अंदर ही बसता था। हारमुसजी मानेकशॉ ने अपनी रिहायश माल रोड पर रखी हुई थी। उनके दादा देव राज मरवाहा सैम बहादुर के पिता के साथ सहायक के तौर पर काम करते थे और उन्हीं से काम भी सीखा था।
1945 में हारमुसजी मानेकशॉ ने अपनी डिस्पेंसरी उनके दादा को सौंप दी थी और खुद यहां से चले गए थे। दादा के बाद उनके पिता जगन नाथ मरवाहा इस डिस्पेंसरी को चलाने लगे और अब वह यहां पर फार्मा का काम करते है। नवीन मरवाहा ने बताया कि आज भी हारमुसजी मानेकशॉ की कुर्सी यहां पर मौजूद है। जिस पर वह बैठ कर मरीजों की जांच कर दवाई दिया करते थे। इसके अलावा उनकी उस समय की कई सारी फोटो और वे चिठि्यां भी उनके पास हैं जिसमें हारमुसजी मानेकशॉ और उनके दादा देव राज मरवाहा आपस में संवाद करते थे।
नवीन मरवाहा ने बताया कि सैम मानेकशॉ की दो बेटियां है। वे विदेश में रहती है। लेकिन वह भी जब भारत आती है तो उनके पास मिलने और अपनी पुरानी डिस्पेंसरी देखने जरूर आती है। अब बालीवुड में उन पर फिल्म बन रही है तो उस समय भी फिल्म बनाने वाले लोग भी उनके पास आकर कई तरह की जानकारियां लेते रहे है।
सैम मानेकशॉ की बहादुरी भारतीय सेना की अप्रतिम शौर्य का प्रतीक है। सेना के इतिहास में ये पहली बार हुआ था कि सीने पर लटकते पांच सितारों के साथ सैम मानेकशॉ को फील्ड मार्शल बनाया गया। सैम मानेकशॉ का जन्म तीन अप्रैल 1914 को पारसी परिवार में हुआ था। सैम का पूरा नाम सैम होरमरूजी फ्रामजी जमशेद जी मानेकशॉ था। वे देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के छात्र थे। 1939 में उनका विवाह सिल्लो बोर्ड से हो गया था। 1969 को उन्हें सेनाध्यक्ष बनाया गया तथा 1973 में फील्ड मार्शल पदोन्नत किया गया। फेफड़े की बीमारी की वजह से 27 जून 2008 को उनका निधन हो गया था।