
हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन बड़ा मंगल पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन शुभ मुहूर्त में की गई मां गंगा की उपासना से साधक को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
सनातन धर्म में ज्येष्ठ मास को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि क्योंकि इस मास में भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है। बता दें कि ज्येष्ठ मास के प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल मंगल कहा जाता है। मान्यता है कि बड़ा मंगल के दिन हनुमान जी की उपासना करने से जीवन में आ रही कई समस्याएं दूर हो जाती हैं।

पंचांग के अनुसार, इस साल का अंतिम बड़ा मंगल 30 जून 2023 (Bada Mangal 2023 Date) को है। साथ ही इस दिन बड़ा मंगल का विशेष संयोग बन रहा है। जिस वजह से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र में भी बड़ा मंगल के सन्दर्भ में कुछ विशेष उपायों को बताया गया है, जिनका पालन करने से जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। आइए पढ़ते हैं बड़ा मंगल से जुड़े कुछ विशेष उपाय।
बड़ा मंगल के दिन करें ये उपाय
- व्यक्ति के कुंडली में यदि मंगल दोष है तो उन्हें बड़ा मंगल का व्रत अवश्य रखना चाहिए, साथ विधि-विधान से हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से साधक को दोष और पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।
- बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान की पूजा के समय उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्यक्षेत्र और व्यवसाय में उन्नति प्राप्त होती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- वर्ष के अंतिम मंगलवार के दिन हनुमान को सिंदूर और लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें और जल में लाल मसूर की दाल प्रवाहित करें। माना जाता है कि इस उपाय से व्यक्ति को संकटों से मुक्ति मिल जाती है।
- मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही इस बजरंग बाण का पाठ करने से भी साधक को कई प्रकार के भय से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है।
बड़ा मंगल के दिन करें इन मंत्रों का जाप
1. ॐ ऐं ह्रीं हनुमते श्री रामदूताय नमः।
2. ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय आध्यात्मिकाधिदैवीकाधिभौतिक तापत्रय निवारणाय रामदूताय स्वाहा।
3. मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं, श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
4. अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।