काशी की तर्ज पर बिहार के इस धर्मस्थल का होगा विकास
देश के कई धर्मस्थलों पर पर्यटन की संभावना तलाशी जा रही है। ऐसे में काशी विश्वनाथ की तर्ज पर बिहार के सिंहेश्वर स्थान को विकसित कर धार्मिक कॉरिडोर से जोड़ने का प्रस्ताव केंद्रीय पर्यटन मंत्री को सौंपा गया है।
मधेपुरा जिले के बाबा सिंहेश्वर स्थान मंदिर का जल्द ही कायाकल्प हो सकता है। सुपौल सांसद दिलेश्वर कामैत ने मंदिर के पुनर्विकास और धार्मिक कॉरिडोर निर्माण को लेकर केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की है। सांसद ने मंत्री को इस बाबत एक ज्ञापन सौंपा और इस पर विचार का आग्रह किया।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री की ओर से कॉरिडोर निर्माण को लेकर सकारात्मक पहल का आश्वासन दिया गया है। इस दौरान उनके साथ मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव, जदयू के चीफ व्हिप सुनील कुमार और गोपालगंज सांसद आलोक कुमार सुमन भी मौजूद थे।
ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण है सिंहेश्वर
सांसद ने अपने ज्ञापन में कहा है कि सुपौल संसदीय क्षेत्र के मधेपुरा जिला अंतर्गत सिंहेश्वर प्रखंड के सिंहेश्वर में विश्व प्रसिद्ध बाबा भोले नाथ (बाबा सिंहेश्वरनाथ धाम) का मंदिर है। सिंहेश्वर एतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत से परिपूर्ण है। श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि सुप्रसिद्ध बाबा सिंहेश्वरनाथ की नगरी को काशी विश्वनाथ की तरह धार्मिक कॉरिडोर से जोड़ने की जरूरत है।
धार्मिक कॉरिडोर से जुड़ने के बाद मंदिर का शिल्प दर्शनीय होगा। धार्मिक कॉरिडोर बनने से बाबा नगरी सिंहेश्वर को पर्यटन स्थल के रूप प्रसिद्धि मिलेगी। वही इससे बिहार के कोसी, मिथिलांचल और सीमांचल क्षेत्र के लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा।
पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, रोजगार के अवसर भी खुलेंगे
बाबा सिंहेश्वर की पूजा-अर्चना के लिए फिलहाल कोसी, मिथिलांचल और सीमांचल सहित नेपाल और बंगाल से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। कॉरिडोर के निर्माण और मंदिर के पुनर्विकास से यहां श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी और इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही रोजगार के भी नए अवसर खुलेंगे।
यह रोजगार के अनुकूल सिद्ध होगा। कॉरिडोर की मान्यता मिलने पर बाबा सिंहेश्वरनाथ धाम वैश्विक पर्यटन के मानचित्र पट पर उभरेगा, जिससे लोगों में अध्यात्मिक रूचि बढ़ेगी। सिंहेश्वर में मंदिर की नई संरचना के साथ पर्यटकों को अध्यात्मिक और मनोरम दृश्य देखने को मिलेगा। इससे पर्यटन उद्योग को निःसंदेह बल मिलेगा।