अमावस्या के दिन करें इस कथा का पाठ, पूर्वज होंगे प्रसन्न

पौष माह की अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान और दान करने का अधिक महत्व है। साथ ही पितरों का तर्पण करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही पितरों की कृपा से कारोबार में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत कथा (Somvati Amavasya 2024 Katha) का पाठ जरूर करना चाहिए।

पंचांग के अनुसार, आज (Aaj ka panchang) यानी 30 दिसंबर (Somvati Amavasya 2024 Date) को सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है। पौष अमावस्या के दिन सोमवार पड़ रहा है, तो इस वजह अमावस्या को सोमवती अमावस्या के रूप में मनाई जा रही है। इस दिन भगवान विष्णु और महादेव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही व्रत कथा का पाठ करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। साथ ही पूर्वज प्रसन्न होते हैं। आइए पढ़ते हैं कथा।

सोमवती अमावस्या की व्रत कथा (Somvati Amavasya 2024 Vrat Katha)
एक समय की बात है एक साहूकार था जिसकी एक बेटी और सात बेटे थे। उनके सभी बेटों का विवाह हो चुका था, जबकि बेटी अविवाहित थी। इस बात से साहूकार और उसकी पत्नी बेहद परेशान थे। साहूकार एक साधु का भक्त था, जो अक्सर भिक्षा लेने और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए उनके घर आता था। साहूकार की पत्नी ने देखा कि साधु ने उनकी सभी बहुओं को समृद्ध जीवन का आशीर्वाद दिया, लेकिन उन्होंने कभी उनकी बेटी को आशीर्वाद नहीं दिया। इसके बारे में जब उन्होंने साधु से पूछा तो, वे बिना कुछ कहें वहां से चले गए। इससे साहूकार की पत्नी का शक और बढ़ गया।

जो कुछ भी हो रहा था उससे चिंतित होकर, उन्होंने अपने परिवार के एक पंडित से सलाह ली और अनुरोध किया कि वह उनकी बेटी की कुंडली पढ़ें, जब पंडित ने कुंडली पढ़ी, तो उसने बताया कि अगर उसकी बेटी का विवाह हुआ, तो उसे अपना शेष जीवन विधवा के रूप में बिताना पड़ेगा।

हालांकि, पंडित ने कहा कि अगर उसकी बेटी द्वीप पर रहने वाली एक विशेष धोबिन से सिन्दूर ले और उसके बाद सोमवती अमावस्या का व्रत रखे तो इससे उसका भाग्य बदल सकता है।

साहूकार की बेटी अपने एक भाई के साथ समुद्र तट की ओर चल पड़ी, और समुद्र पार करने के तरीकों की तलाश करने लगी। उस दौरान उसने देखा कि वहां एक गिद्ध का घोंसला था, जहां पर कुछ गिद्ध रह रहे थे और एक सांप पेड़ पर चढ़ गया और मादा गिद्ध द्वारा दिए गए सभी अंडों को खा गया, जबकि अन्य गिद्ध भोजन की तलाश में थे। सांप के इस नियमित व्यवहार से गिद्ध का परिवार तबाह हो गया था।

इसके बाद लड़की ने खतरे को देखा और सांप को मार डाला, और गिद्धों को उस परेशानी से मुक्त कर दिया। इससे गिद्ध बहुत खुश हुए और समुद्र पार करने और द्वीप पर पहुंचने में उनकी सहायता की, जब साहूकार की बेटी आई, तो उसने छिपकर धोबिन की सेवा की, जिससे धोबिन बहुत प्रसन्न हुई। एक बार जब धोबिन को उसके अच्छे काम के बारे में पता चला तो उसने उसे आशीर्वाद दिया। साथ ही अपने हाथों से सिन्दूर देकर उसकी खुशहाली की कामना की और भविष्य में उसके सुखमय और समृद्ध विवाह का आश्वासन दिया। इसके बाद साहूकार की बेटी ने सोमवती अमावस्या का व्रत किया और विवाह करके सुखी जीवन व्यतीत किया।

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