इन 4 योग में मनाई जाएगी सोमवती अमावस्या
सनातन शास्त्रों में निहित है कि सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024 Yog) पर पीपल वृक्ष की पूजा करने से व्यक्ति पर पितरों की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होता है। इस शुभ अवसर पर गंगा तट पर बड़ी संख्या में साधक अपने पितरों का तर्पण करते हैं।
सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके बाद भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं। पूजा संपन्न होने के बाद दान-पुण्य करते हैं। गरुड़ पुराण में अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने की सलाह दी गई है। अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस शुभ अवसर पर साधक अपने पितरों का तर्पण करते हैं। धार्मिक मत है कि पितृ के प्रसन्न होने से व्यक्ति के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या पर कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में महादेव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए, सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024) का शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर होगी। वहीं, सोमवती अमावस्या की समाप्ति 31 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अतः 30 दिसंबर को ही (Somvati Amavasya 2024) सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।
शुभ योग
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, पौष अमावस्या पर सबसे पहले वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन रात 08 बजकर 32 मिनट पर होगा। इसके बाद वृद्धि योग का संयोग है, जो पूर्ण रात्रि तक है। इसके साथ ही सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष ध्रुव, वृद्धि एवं शिववास योग को शुभ एवं उत्तम मानते हैं। इन योग में महादेव की पूजा करने से न केवल साधक की मनोकामना पूरी होगी, बल्कि जीवन में व्याप्त सभी संकटों से भी मुक्ति मिलेगी। शिववास योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सोमवती अमावस्या पर देवों के देव महादेव कैलाश पर मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 34 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 32 मिनट से 05 बजकर 59 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 51 मिनट तक