स्कंद षष्ठी पर ऐसे करें भगवान कार्तिकेय की पूजा

स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti 2025) का व्रत बेहद पुण्यदायी माना जाता है। यह पर्व दक्षिण भारत में ज्यादा मनाया जाता है। यह दिन कार्तिकेय जी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो लोग इस दिन पर कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें मुरुगन स्वामी की कृपा सदैव के लिए प्राप्त होती है। वहीं इस दिन श्री कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी माना जाता है।

हिंदू धर्म में स्कन्द षष्ठी का पर्व बहुत ही उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा का विधान है, जिन्हें मुरुगन, कार्तिकेयन और सुब्रमण्यम आदि नामों से भी जाना जाता है। कहते हैं कि इस दिन सच्चे भाव के साथ पूजा-पाठ व उपवास रखने से और भगवान मुरुगन की पूजा करने सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ महीने की स्कन्द षष्ठी (Skanda Sashti 2025) आज यानी 3 फरवरी को मनाई जा रही है। ऐसे में इस दिन मुरुगन भगवान की विधिवत पूजा करें।

उन्हें फल, मिठाई, फूल आदि अर्पित करें। श्री कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ करें और उनकी भव्य आरती का आयोजन करें। इससे जीवन में शुभता आएगी।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
तामसिक चीजों से दूर रहें।
पूजा के दौरान पवित्रता का विशेष ख्याल रखें।
किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा न करें।
ज्यादा से ज्यादा पूजा-अर्चना करें।
इस दिन दान जरूर करना चाहिए।
इस दिन व्रती सिर्फ फलहारी का सेवन करें।

।।श्री कार्तिकेय स्तोत्र।।

योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥

।।भगवान कार्तिकेय की आरती।।
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

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