भारतीय कानून पर विजय माल्या के वकीलों ने खड़े किए सवाल

भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ ब्रिटेन की अदालत में प्रत्यपर्ण मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। ब्रिटेन की अदालत इस बात पर फैसला लेगी कि भगोड़े कारोबारी को किंगफिशर एयरलाइन से संबंधित आरोपों की सुनवाई के लिए भारत प्रत्यर्पित किया जा सकता है या नहीं।भारतीय कानून

लंदन के वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में सोमवार से शुरू हुई सुनवाई चार दिनों तक चलेगी। बैरिस्टर क्लारे मोंटगोमेरी उनकी पैरवी कर रहे हैं। माल्या के वकील ने भारत की न्याय प्रणाली और मीडिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा किया है।

माल्या के बचाव में बैरिस्टर मोंटगोमेरी दो गवाह पेश कर सकते हैं। वह यह साबित करने में जुटे हैं कि कारोबारी विफलता के कारण एयरलाइंस ने बैंकों को 9000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकता नहीं किया। इसमें एयरलाइंस कंपनी के मालिक ने बेईमानी या जालसाजी नहीं की है।

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माल्या के एक अन्य वकील डॉ. मार्टिन लाउ ने सीबीआइ द्वारा उपलब्ध कराए गए सुबूतों और सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था पर अपना विचार पेश किया। भारत की ओर से क्राउन अभियोजन सेवा (सीपीएस) ने दलील पेश की। सीपीएस ने जोर देकर कहा कि भारत में एक स्वतंत्र और सजीव प्रेस है जिसकी इस मामले में गहरी समझ है। सीपीएस ने लाउ की दलीलों को चुनौती दी।

बैंकों ने भी दायर किया है मामला-

इंग्लैंड हाईकोर्ट ऑफ जस्टिस में कामर्शियल कोर्ट के क्वीन्स बेंच में माल्या के खिलाफ एक और मामला चल रहा है। यह मामला भारतीय बैंकों के कंसोर्टियम ने दायर किया है। बैंकों ने उनकी वैश्विक संपत्ति जब्त करने की मांग की है। माल्या और संबंधित लेडीवाक एलएलपी, रोज कैपिटल वेंचर लिमिटेड और ऑरेंज इंडिया होल्डिंग्स के खिलाफ बैंकों ने दावा दायर किया है।

दावा दायर करने वाले बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, कारपोरेशन बैंक, फेडरल बैंक लिमिटेड, आइडीबीआइ बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, जम्मू एवं कश्मीर बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और जेएम फाइनेंसियल एआर कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।

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