केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में नर्स ने यूट्यूब देखकर की डायलिसिस, बच्चे की गई जान

केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर और नर्स की घोर लापरवाही का खामियाजा नवजात बच्चे को भुगतना पड़ा है। पीआईसीयू वार्ड में डायलिसिस के दौरान लापरवाही बरतने से बच्चे के गले में गंदगी फंस गई। सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजन ने स्टाफ से गुहार लगाई। विश्राम कक्ष जाकर गिड़गिड़ाए लेकिन वहां सो रहे डॉक्टर नहीं उठे। नर्सें मोबाइल पर खेलती रही। परिजन के गिड़गिड़ाने पर मरीज को देखने के बजाए स्टाफ हंसता रहा। कुछ देर बाद बच्चे ने दम रोड़ दिया। घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल। हुआ है। लापरवाही के आक्रोशित परिजन ने अस्पताल में हंगामा किया। उन्होंने केजीएमयू प्रशासन से डॉक्टरों और स्टाफ की लिखित शिकायत भी की है। 

परिजन के गिड़गिड़ाने और गुहार लगाने का वीडियो वायरल
गोरखपुर के नंदानगर निवासी जीतेंद्र यादव शटरिंग का काम करते हैं। उनके बेटे अभ्युदय (9 माह) के शरीर पर रैशेज पड़ गए थे। जीतेंद्र ने बेटे को डॉक्टर माला कुमार की देखरेख में 28 मई को जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के पीडियाट्रिक वार्ड में भर्ती कराया था। करीब एक सप्ताह बाद उसे छुट्टी दे दी गई। बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ था। कुछ दिनों बाद ही निमोनिया की शिकायत हुई। परिजन बच्चे को दोबारा से 6 जून को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर लाए। यहां आईसीयू में बेड खाली न होने की वजह बता कर लौटा दिया गया। परिजन उसे लेकर गोमतीनगर स्थिति निजी अस्पताल ले गए। पिता के मुताबिक यहां पैसे अधिक लग रहे थे। इसके बाद 14 जून को ट्रॉमा के पीडियाट्रिक वार्ड के पीआईसीयू में भर्ती कराया। मामा प्रवीण यादव ने बताया कि हालत बिगड़ने पर डॉक्टर ने 72 घंटे की डायलिसिस की सलाह दी। इसके लिए 28-28 हजार कीमत की दो किट और 17 हजार का डायलिसिस में इस्तेमाल होने वाला पानी मंगाया।

नर्स ने यू ट्यूब पर देखकर ऑपरेट किया डायलिसिस मशीन 
आरोप है कि गुरुवार रात नर्स ने यू ट्यूब पर देखकर डायलिसिस मशीन को ऑपरेट किया। बच्चे के शरीर का खून मशीन में जाने के बाद मशीन बंद हो गई। वापस खून बच्चे के शरीर में नहीं जा सका। काफी खून अलग बह गया, उसे स्टाफ ने कूड़े में फेंकवा दिया। डायलिसिस में लापरवाही से गुरुवार रात करीब दो बजे बच्चे के गले में गंदगी फंस गई। इससे उसकी सांस लेने में दिक्कत होने लगी। परिजन ने स्टाफ से गुहार लगाई। विश्राम कक्ष जाकर गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन सो रहे डॉक्टर नहीं उठे। नर्स मोबाइल पर खेलती रही। परिजन के गिड़गिड़ाने पर स्टाफ हंसता रहा। कोई सक्शन (गंदगी को मशीन से निकालने) करने भी नहीं आया। परिजन ने खुद ही सक्शन किया। कुछ देर बाद बच्चे ने दम तोड़ दिया। इकलौते बेटे की मौत से मां बबिता रोते-रोते कई बार बेहोश हो गई।

दरोगा बोला, शिकायत करोगे तो शव लावारिस में कर देंगे 
परिजन का कहना है कि डॉक्टरों की लापरवाही का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर मदद की गुहार लगाई। मौके पर पहुंचे जिम्मेदारों ने अईसीयू में वीडियो बनाने पर कानूनी कार्रवाई की धमकी देकर वीडियो डिलीट करने का दबाव डाला। पुलिस ने तीमारदारों को फटकारा। एक दरोगा ने कहा कि शिकायत करोगे तो बच्चे के शव को लावारिस में दाखिल कर दिया जाएगा। परिजन लापरवाही का आरोप लगाकर केजीएमयू प्रशासन से लिखित शिकायत की है। शिकायत में जिम्मेदार डॉक्टरों व स्टाफ का नाम भी लिखा गया है।

वायरल वीडियो में गिड़गिड़ाते दिख रहे परिजन
डॉक्टर साहब बच्चे की सांसे उखाड़ रहीं है, पल्स रेट तेजी से गिर रहा है उसकी जान बचाइए, सिस्टर आप ही देख लीजिए, अरे कोई तो सुनो, मासूम की मदद करिए नहीं तो वो मर जाएगा। शीर होने पर अन्य मरीजों के परिजन की नींद खुल गई, वह पीआईसीयू पहुंचे गए, लेकिन विश्राम कक्ष से में सो रहे डॉक्टरों नहीं आए।

क्या कहते हैं प्रवक्ता केजीएमयू
प्रवक्ता केजीएमयू डॉ. सुधीर सिंह ने बताया कि बच्चा गंभीर हालत में लाया गया था। उसमें बुखार, डायरिया, निमोनिया, पैसिटोपेनिया के लक्षण थे। उसकी हालत लगातार गंभीर होते जा रही थी। उसकी स्थिति की जानकारी भी परिजनों को दी जा रही थी। गुर्दे खराब होने के दशा में डायलिसिस किया गया। वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया। लेकिन कार्डियक अरेस्ट होने से उसे बचाया नहीं जा सका। 

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