अब बहुत जल्द मिनटों में पता कर सकेगें कोरोना हैं या नही…

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन  ने रविवार को ‘संडे संवाद’ के पांचवें संस्करण में लोगों को संबोधित किया. 11 अक्टूबर के संवाद में उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 से जंग धर्म से ऊपर है.’ उन्होंने ये भी बताया कि कोरोना वायरस की जांच के लिए फेलूदा पेपर स्ट्रिप टेस्ट अगले कुछ सप्ताह में भारत में उपलब्ध हो जाएगा.

वैक्सीन पर सरकारी की रणनीति के सवाल पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘कोविड-19 के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सुरक्षा और प्रभावशीलता के पर्याप्त डेटा की जरूरत है ताकि मरीज की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सके. मौजूदा समय में, भारत में वैक्सीन कैंडिडेट्स ट्रायल के पहले, दूसरे या तीसरे चरण में हैं. इन ट्रायल्स से लिए गए डेटा के उपयोग से वैक्सीन की रणनीति तैयार की जाएगी.’

स्वास्थ्य मंत्री ने संडे संवाद में कहा, ‘कोविड-19 वैक्सीन के लिए ग्रुप्स की प्राथमिकता दो प्रमुख बातों पर निर्भर करेगी. पहली, व्यावसायिक जोखिम और संक्रमण के संपर्क में आने का खतरा. दूसरा, गंभीर बीमारी के विकास और मृत्यु दर में वृद्धि का खतरा.’

फेलूदा पेपर स्ट्रिप टेस्ट के बारे में डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि इस टेस्ट में 96 प्रतिशत संवेदनशीलता और 98 प्रतिशत विशिष्टता देखी गई है. उन्होंने बताया कि इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) और तमाम प्राइवेट लैब्स में फेलूदा ट्रायल के लिए करीब 2,000 मरीज जुड़े थे.

सरकार की तरफ से फेलूदा पेपर स्ट्रिप टेस्ट के इस्तेमाल को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन शुरुआती मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह टेस्‍ट मिनटों में बता देगा कि व्‍यक्ति कोरोना वायरस संक्रमित है या नहीं. ये ठीक एक प्रेग्रनेंसी टेस्ट स्ट्रिप्स की तरह ही काम करेगा. इसकी कीमत भी RT-PCR टेस्ट से कम होगी. CRISPR की तरह ये किट जेनेटिक सीक्वेंस की पहचान कम बीमारी का पता लगाएगी.

फेलूदा स्ट्रिप टेस्ट को CSIR-IGIB ने विकसित किया है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCA) ने इसके कमर्शियल इस्तेमाल को मंजूरी दी है. ये ICMR के RT-PCR टेस्टिंग किट के मौजूदा क्राइटेरिया को भी मैच करता है, जो कि 96% संवेदनशील और 99% विशिष्ट है. डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि कोविड-19 के लिए फेलूदा स्ट्रिप टेस्ट पहले ही बेंगलुरु स्थित डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंस से मान्यता प्राप्त कर चुका है.

ICMR ने कोविड-19 के री-इंफेक्शन के मामलों को समझने के लिए एक अध्ययन किया है. इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘वास्तव में री-इंफेक्शन का मतलब है, पूरी तरह से ठीक हो चुके व्यक्ति का फिर से वायरस की चपेट में आना.’ उन्होंने बताया कि ICMR द्वारा शुरुआती विश्लेषण में पता चला है कि कोविड-19 के री-इंफेक्शन के रूप में दर्ज किए गए कई मामले गलत हैं.

RT-PCR टेस्ट मरीज के रिकवर होने के लंबे समय बाद भी शरीर में नष्ट हो चुके वायरस को डिटेक्ट कर सकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बीच आयुष मंत्रालय का भी बचाव किया. उन्होंने कहा कोविद के लिए आयुष की दवाओं में इम्युनो-मॉड्यूलेटरी, एंटी-वायरल, एंटी-पायरेटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण साबित हो चुके हैं.

इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने त्योहारों के मौसम में लोगों को बड़ी संख्या में इकट्ठे होने को लेकर भी चेतावनी जारी की है. उन्होंने कहा कि कोई भगवान या धर्म ये नहीं कहता कि आप त्योहारों को दिखावे के साथ सेलिब्रेट करें.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button