अब सुबह 7:45 बजे खुलेंगे ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर के पट

गर्मा के मौसम की शुरुआत होते ही ठाकुर बांकेबिहारी के दर्शन और उनकी भोग-सेवा में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। होली के बाद अर्पित होने वाले भोग में अब गरिष्ठ पदार्थों की मात्रा कम कर दी गई है, जबकि तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ा दी गई है। वहीं, शरद ऋतु में पंचमेवा अधिक मात्रा में परोसा जाता था, अब उसकी जगह ग्रीष्म ऋतु में कुछ बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
मंदिर में दर्शन समय में हुआ बदलाव
मिली जानकारी के मुताबिक,अब ठाकुर बांकेबिहारी के मंदिर का दर्शन समय भी बदल गया है। रविवार को ठाकुरजी को एक घंटे पहले जागना पड़ा। सुबह 7:45 बजे मंदिर के पट खुलते हैं, और दोपहर 12 बजे राजभोग अर्पित होने के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं। शाम को मंदिर के पट 5:30 बजे खुलते हैं और रात 9:30 बजे पट बंद होते हैं।
ठाकुर बांकेबिहारी का ऐसा मंदिर जहां सुबह नहीं होती मंगला आरती
टीर्थनगरी में ठाकुर बांकेबिहारी का मंदिर ऐसा है जहां सुबह मंगला आरती नहीं होती। इसके पीछे मान्यता है कि बांकेबिहारी भगवान बाल रूप में होते हैं और रात में निधिवन में रास रचाते हैं। इसलिए वे देर से सोते हैं और सुबह जल्दी न उठे, इसलिए मंगला आरती की परंपरा नहीं है।
शरद ऋतु से ग्रीष्म ऋतु तक ठाकुरजी के दर्शन का समय
शरद ऋतु में ठाकुरजी सुबह 8:45 बजे दर्शन देते थे, लेकिन ग्रीष्म ऋतु में वे एक घंटे पहले जागने के बाद अब सुबह 7:45 बजे भक्तों को दर्शन देने लगे हैं। सुबह 11 बजे राजभोग अर्पित किया जाता है, और फिर 11:55 बजे राजभोग आरती के बाद मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। शाम को मंदिर के पट 5:30 बजे खुलते हैं, और रात करीब 8:30 बजे ठाकुरजी को भोग अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद 9:25 बजे शयन भोग आरती होती है और मंदिर के पट बंद हो जाते हैं।
ग्रीष्म ऋतु में एक घंटे पहले उठते हैं ठाकुरजी
ग्रीष्म ऋतु में ठाकुरजी अब सुबह एक घंटे पहले जागते हैं और रात में भी एक घंटे देरी से सोते हैं। हालांकि, दोपहर में राजभोग के बाद उन्हें अब दो घंटे का विश्राम समय मिल रहा है। यह बदलाव दीपावली तक लागू रहेगा।
ठाकुरजी की पोशाक में बदलाव
ग्रीष्म ऋतु में ठाकुरजी को गर्मी का सामना न करना पड़े, इसके लिए मंदिर की सेवायतों ने उनकी पोशाक में भी बदलाव किया है। अब ठाकुरजी को हल्के रंग की रेशम और सूती कपड़ों की पोशाक पहनाई जा रही है, ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिल सके।