अब सरकारी सेवाओं की जानकारी इस ऐप के जरिये मिलेगी, बस करना होगा ये काम…


आईटी मंत्रालय के मुताबिक, दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर लोगों को सरकारी सेवाओं में सूचना या प्रक्रिया की जानकारी मुहैया कराई जा रही है। देश में बड़े पैमाने पर लोग व्हाट्सऐप का प्रयोग करते हैं, ऐसे में उन्हें इस माध्यम की पूरी समझ है।
मंत्रालय इसी तर्ज पर उमंग ऐप में चैट की व्यवस्था विकसित करने जा रहा है। इसकी रूपरेखा तैयार की जा चुकी है और तकनीकी स्तर पर काम चल रहा है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, देश की विभिन्न भाषाओं में इस चैट को मुहैया कराया जाएगा। पहले चरण में इसे हिंदी भाषी क्षेत्रों में लागू किया जाएगा और फिर सिलसिलेवार ढंग से इसे क्षेत्रीय भाषाओं में लागू किया जाएगा।
आंध्र प्रदेश ने पहले ही किया लागू
केंद्रीय मंत्रालय के मुताबिक, देश में 1.21 अरब मोबाइल फोन हैं। इनमें से 45.6 करोड़ लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं और अधिकतर व्हाट्सऐप या इसी तरह से इंटरनेट चैट का प्रयोग करते हैं। सरकार अपनी योजनाओं की प्रगति की जानकारी लोगों तक पहुंचाने, केंद्रीय योजनाओं की प्रक्रिया और उनके बारे में सूचना देने के लिए बड़े पैमाने पर चैट का प्रयोग कर आसान व्यवस्था कर सकती है।
मौजूदा समय में लोग खासतौर पर केंद्रीय योजनाओं की प्रक्रिया और उससे जुड़ी सूचनाओं को लेकर भटकते हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकारों से भी इस पर जल्द चर्चा की जाएगी। जबकि आंध्र प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जिसने यातायात सेवा में इस व्यवस्था को लागू किया है और उसे पूरी सफलता मिली है।
हर व्यक्ति से जुड़ेगी सरकार
मंत्रालय का कहना है कि केंद्र सरकार देश के हर कोने और हर व्यक्ति से ‘उमंग ऐप’ में चैट के माध्यम से जुड़ जाएगी। इसके जरिये किसानों, मजदूरों, ग्रामीण क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में रहने वाले लोगों को सरकार से जुड़ी पूरी सूचना एक क्लिक में हासिल होगी। वह चैट के माध्यम से सवाल कर स्पष्टीकरण भी कर सकेंगे। ऐसे में उन्हें किसी तरह का भ्रम नहीं रहेगा।
सिर्फ केंद्रीय योजना और सरकारी सेवाओं तक ही नहीं, बल्कि देश को इसके माध्यम से सरकार सावधानी या सतर्कता के संबंध में संदेश दे सकेगी या आगाह कर सकेगी। गौरतलब है कि सरकार का जोर कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत अन्य क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करने पर है। आईटी मंत्रालय के अलावा, नीति आयोग में भी विशेषज्ञों ने इस पर विमर्श किया है।