यहां नाव पर नहीं, घोड़ों पर बैठकर मछली पकड़ते हैं मछुआरे!

मछुआरे जब मछली पकड़ने के लिए नदी या समुद्र में जाते हैं, तो अपनी नाव के सहारे जाते हैं. फिर नाव का लंगर पानी में डाल देते हैं और कुछ देर एक ही जगह पर खड़े होकर अपने जाल को पानी के उस भाग में फेंकते हैं और मछलियां पकड़ लेते हैं. ये दृश्य आपने शायद कभी असल जिंदगी में भी देखा होगा और टीवी पर भी देखा होगा. पर क्या आपने कभी देखा है कि मछली पकड़ने के लिए नाव का नहीं, घोड़ों का इस्तेमाल हो रहा हो? शायद नहीं, पर बेल्जियम में एक जगह मछुआरे (Horseback Fishermen) ऐसा ही करते हैं.

फ्रांस के डनकर्क से करीब 20 किलोमीटर पूर्व की ओर बेल्जियम का एक हिस्सा है जिसका नाम है Oostduinkerke जिसका अर्थ है ईस्ट डनकर्क. इस जगह पर मछुआरों (Fishermen on horseback) का एक बेहद अनोखा तरीका है जिसके जरिए वो मछली पकड़ते हैं. ये मछुआरे मछली पकड़ने के लिए नाव का प्रयोग नहीं करते, बल्कि घोड़ों का प्रयोग करते हैं. घोड़े लेकर ये समुद्र में घुस जाते हैं. ये मछुआरे असल में खास तरह के श्रिंप को पकड़ते हैं जिन्हें क्रैंगॉन कहते हैं. ये ग्रे श्रिंप के नाम से भी जानी जाती हैं. ये एक तरह का झींगा होता है. इसे बहुत चाव से बेल्जियम में खाया जाता है. कई सदियों पहले श्रिंप को पकड़ने के लिए इसी टेकनीक का इस्तेमाल फ्रांस से लेकर नीदरलैंड तक किया जाता था. पर आज ये सिर्फ कुछ मील तक ही सीमित रह गई है.

खास तरह से पकड़ते हैं झींगा
मछली पकड़ने का काम गर्म दिनों में होता है जब समुद्र में बर्फ नहीं होती है. कम ज्वार से ठीक पहले, जब समुद्र नीचे उतर चुका होता है तो मछुआरे अपने घोड़ों पर चमकीले पीले रंग के स्लीकर और लंबे रबर के जूते पहनते हैं, और समुद्र तट के समानांतर चलते हैं और अपने पीछे बड़े जाल खींचकर झींगा और अन्य मछलियों को पकड़ लेते हैं. पेट तक समुद्र में जाल खींचकर पानी में चलना ब्रैबेंट घोड़ों के लिए भी बेहद कठिन काम है, जो अपनी जबरदस्त ताकत के लिए जाने जाते हैं, इसलिए समय-समय पर, मछुआरे और उनके घोड़े शीघ्र विश्राम के लिए तट पर लौट आते हैं. समुद्र के किनारे आने वाले झींगे को वो घोड़ों पर टंगी दो टोकरियों में भर लेते हैं. 500 साल पहले तक श्रिंप पकड़ने का यही एक तरीका हुआ करता था.

बदल गया है तरीका
व्यावसायीकरण और बढ़ती मांग के साथ, मछुआरों ने ज्वार के साथ झींगा के उनके पास आने का इंतजार करने के बजाय झींगा को पकड़ने के लिए समुद्र में जाना शुरू कर दिया है. यहां तक ​​कि 20वीं सदी की शुरुआत में भी, उत्तरी सागर के तट पर घोड़े पर सवार होकर झींगा मछली पकड़ना एक आम दृश्य था. अब, ओस्टडुइंकरके में केवल एक दर्जन परिवार ही इस स्वदेशी संस्कृति के संरक्षक बचे हैं.

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