10 अप्रैल को भारत बंद का आव्हान किसी ने नहीं किया, तो कहा से आई ये खबर ?

सोशल मीडिया में ये बात बहुत तेज़ी से प्रचारित की जा रही है कि सवर्णों ने 10 अप्रैल को भारत बंद का आव्हान किया है जबकि संपूर्ण जाँच-पड़ताल के बाद ये खबर एक अफवाह ही साबित हुई है। कहीं ऐसा तो नहीं कि कैंब्रिज एनालिटिका से अनुबंध के तहत ये सब करवाया जा रहा हो।

सोशल मीडिया पर आरक्षण के खिलाफ भारत बंद के कई पोस्ट वायरल हो रहे हैं। इसमें कहा जा रहा है कि अब जनरल वर्ग आरक्षण के खिलाफ भारत बंद करेंगे। यह बंद दलित संगठनों को जवाब देने के लिए किया जाएगा। हालांकि, अब तक किसी भी संगठन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। प्रशासन का भी कहना है कि अब तक उन्हें इस तरह के किसी बंद की सूचना नहीं है। फेसबुक पर लोग आरक्षण के खिलाफ बंद का समर्थन कर रहे हैं। लोग पोस्ट कर रहे हैं कि सब अपने-अपने इलाकों में आरक्षण के खिलाफ रैली करें। बिना इस मैसेज की सच्चाई जाने इसको आगे बढ़ाना देश की सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

मान लीजिये कल को कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा इस मैसेज का फायदा उठाकर कुछ लोगों को आगामी 10 अप्रैल को प्लांट कर दिया जाता है और वे गुण्डे सवर्णों के नाम पर मारकाट मचा देते हैं तब क्या होगा। कोई आतंकी भीड़ का फायदा उठाकर वारदात कर जाए तब क्या होगा। कुल मिलाकर देश में अराजकता का माहौल बनेगा और इसका फायदा कांग्रेस जैसी देश विभाजक पार्टियां उठा लेंगी।

यदि ये भारत बंद आधिकारिक रूप से बुलाया जाता तो कोई संगठन सामने आता। किसी शहर से प्रशासन से इस बंद के लिए प्रक्रिया के तहत अनुमति मांगी जाती। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है। किसी शहर में इसके लिए अनुमति नहीं मांगी गई है। दलितों के आंदोलन के हिंसक हो जाने के बाद देश को करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हो चुका है और ऐसे में दूसरा आंदोलन यदि हिंसक हो जाता है तो देश के निर्धन वर्ग को बड़ी मार पड़ेगी।

चुनावी वर्ष शुरू होते ही देश में हिंसक घटनाओं का दौर शुरू हो चुका है। ऐसे मैसेज की सत्यता की जांच करे बगैर आगे न बढ़ाए। देश के मीडिया संस्थान पहले ही इस मैसेज का वायरल चेक कर चुके हैं और ये फेक पाया गया है। यदि आपके व्हाट्सएप पर ये मैसेज आता है तो आगे न बढ़ाने में ही समझदारी है।

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