कपड़े की नहीं, चमड़े की बनाई गई थी पहली ब्रा!

ब्रा महिलाओं के पहनावे-ओढ़ावे का एक अहम हिस्सा है। अलग-अलग ड्रेसेज के लिए अलग-अलग बॉडी टाइप के लिए तरह-तरह की ब्रा बाजार में बड़ी आसानी से मिल जाती है लेकिन आपको (Bra History) जानकर हैरानी हो सकती है कि पहले ब्रा इतने आरामदायक नहीं हुआ करते थे। आइए जानते हैं चमड़ी के ब्रा से लेकर आज के मॉर्डन ब्रा तक का सफर।

ब्रा के साथ हर महिला का लव-हेट का रिलेशन होता है। एक तरफ तो यह हमारी बॉडी शेप को और निखारने और ब्रेस्ट्स को सपोर्ट देने का काम करती है, तो वहीं, इसकी टाइट इलास्टिक के कारण महिलाएं इसे न पहनकर ज्यादा कंफर्टेबल महसूस करते हैं। हालांकि, इसको भी ध्यान में रखते हुए अब मार्केट में कई डिजाइन्स की ब्रा अलग-अलग साइज में आसानी से मिल जाती है, लेकिन क्या आपने यह सोचा है कि ब्रा का आविष्कार (early bra designs) कैसे हुआ और क्या शुरुआत (lingerie evolution) में भी यह ऐसी ही नजर आती थी, जैसी आज दिखाई देती है? आइए जानते हैं।

प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक
ब्रा का स्वरूप जैसा आज नजर आता है, पहले वैसा नहीं हुआ करता था। प्राचीन काल में महिलाओं के शरीर को एक खास आकार में ढालने के लिए तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे- कॉर्सेट।

प्राचीन समय से ही मिस्त्र में रहने वाली महिलाएं चमड़े से बनी ब्रा पहनती थीं। हालांकि, इसका स्वरूप आज की ब्रा से काफी अलग था। चमड़ी से बनी इस ब्रा को पहनना काफी मुश्किल होता था। इसका इस्तेमाल भी बॉडी को शेप देने का काम किया जाता था।

अब हुई कोर्सेट की शुरुआत
इसके बाद 17वीं से 18वीं शताब्दी आते-आते सफेद रंग के अंडरगारमेंट पहनने का चलन आया। यह ब्रा जैसी नहीं, बल्कि एक कमीज की तरह दिखती थी। इसके बाद 19वीं शताब्दी आते-आते कई देशों में महिलाओं ने कोर्सेट पहनना शुरू किया। कोर्सेट के पीछे डोरियां होती थीं, दिसे पहनते समय खूब जोर से कसा जाता था।

कॉर्सेट में लोहे की छड़े लगी होती थीं, जिन्हें खींचकर टाइट बांधा जाता था, ताकि महिला का फिगर रेत घड़ी (Hour Glass) जैसा नजर आए। इसे पढ़कर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इसे पहनना कितना दर्दनाक रहता होगा।

कॉर्सेट पहनने की वजह से महिलाओं की रिब्स की हड्डियां संकड़ी हो जाती थीं, जिससे शरीर के अंदरुनी अंग भी अपनी जगह से हिल जाते थे। हालांकि, विश्व युद्ध के दौरान यह मांग की गई कि कॉर्सेट में इस्तेमाल होने वाले लोहे का इस्तेमाल युद्ध में किया जाए और इस तरह लोहे की छड़ों की जगह कॉर्सेट में वेल मछली की हड्डियों का इस्तेमाल किया जाने लगा।

मॉर्डन ब्रा का जन्म
कोर्सेट से महिलाओं की सेहत को होने वाले नुकसान के कारण धीरे-धीरे कोर्सेट छोड़कर आरामदायक ब्रेसियर या ब्रा का आविष्कार हुआ। शुरुआत में ब्रा महज एक कपड़ा हुआ करता था, जिसे बांधकर ब्रा का आकार दिया जाता था, लेकिन वक्त के साथ-साथ इसके कपड़े और डिजाइन में काफी बदलाव हुए।

इन्हीं बदलावों से गुजरते हुए ब्रा ने आज का मॉर्डन लुक लिया। 20वीं सदी में ब्रा के डिजाइन और फैब्रिक में काफी सुधार किए गए। महिलाओं के लिए अलग-अलग प्रकार के ब्रा उपलब्ध होने लगे, जैसे कि स्पोर्ट्स ब्रा, पैडेड ब्रा आदि।

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