28 मई को नए संसद भवन का होगा उद्घाटन…
सियासी बयानबाजी और बहिष्कार की चर्चाओं के बीच 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होने जा रहा है। कार्यक्रम के न्योते भी बांटे जा चुके हैं। गुजरात के अहमदाबाद स्थिति कंपनी एचसीपी ने तैयार किया है। इसका मुख्य किरदार आर्किटेक्ट बिमल पटेल रहे। सवाल है कि पुराने भवन और नई संसद में अंतर क्या है।
5 अंतर समझें
बैठ सकेंगे ज्यादा सांसद
नया संसद भवन पहले से ज्यादा सांसदों के स्वागत को तैयार है। बताया जा रहा है कि नई इमारत में 888 सदस्यों की लोकसभा में बैठने की जगह होगी। जबकि, पहले यह आंकड़ा 543 था। वहीं, राज्यसभा में 300 सदस्य बैठ सकेंगे। यहां पहले 250 सदस्य शामिल हो सकते थे। हालांकि, नए भवन में मानसून सत्र आयोजित होने की संभावनाएं कम हैं।
पहले से बड़ा
नया संसद भवन 64 हजार 500 वर्ग मीटर के दायरे में फैला हुआ है और त्रिकोणीय आकार का है। नई इमारत 24 हजार 281 वर्ग मीटिर में है। इसकी डिजाइन भी गोलाकार थी।
लोकसभा चेंबर में मंथन
मौजूदा संसद भवन में सेंट्रल हॉल था, जहां संयुक्त सत्र आयोजित होते थे, लेकिन नए भवन में ऐसा नहीं है। खबर है कि यहां लोकसभा चेंबर में सत्र आयोजित होंगे।
तकनीक और सुरक्षा
बताया जाता है कि पुराने भवन में फायर सेफ्टी चिंता का विषय था, लेकिन नई इमारत में बदलाव किए गए हैं। इसके अलावा कई नए तार शामिल किए गए थे, जिसके चलते खतरा बढ़ रहा था। वहीं, समय-समय पर पानी की लाइन, सीवर लाइनें, एसी, सीसीटीवी जैसी कई चीजें शामिल होने से भी इमारत को काफी नुकसान पहुंचा है। अब नए भवन में वोटिंग के लिए बायोमेट्रिक्स, ट्रांसलेशन सिस्टम और माइक्रोफोन जैसी कई आधुनिक चीजें भी शामिल हुई हैं।
डिजाइन
औपनिवेशिक काल के पुराने भवन का निर्माण ब्रिटेन के आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियन्स और हर्बर्ट बेकर ने किया था। जबकि, नई इमारत की डिजाइन गुजरात के बिमल पटेल और उनकी टीम ने तैयार की है।
सेंगोल होगा स्थापित
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा कि ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत को हस्तांतरित की गई सत्ता के प्रतीक ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ‘सेंगेाल’ अभी इलाहाबाद में एक संग्रहालय में है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अंग्रेजों से सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर ‘सेंगोल’ लिया था।