दागी सांसदों-विधायकों से निपटारे के लिए 12 स्पेशल कोर्ट बनाएगी सरकार
इससे पहले दोषी और सजायाफ्ता नेताओं के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऐसे मामलों के लिए विशेष अदालतों की शुरूआत करने के लिए कहा था। उच्चतम अदालत ने केंद्र से ये भी कहा कि वह बताए कि इसमें कितना फंड और वक्त लगेगा। कोर्ट ने कहा इसके बाद हम देखेंगे कि जजों की नियुक्ति कैसे होगी।
बता दें कि दागी और दोषी नेताओं पर दायर की गई चुनाव आयोग और अन्य की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आपराधिक मामलों में जनप्रतिनिधियों के जुर्म साबित होने की औसत दर क्या है? अदालत ने ये भी पूछा था कि क्या नेताओं पर चलने वाले ट्रायल को एक वर्ष में पूरा करने के उसके आदेश का प्रभावी ढंग से पालन हो सका है?
याचिकाकर्ताओं से कोर्ट ने यह भी कहा था कि आप सजा होने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने पर रोक को लेकर बहस कर रहे हैं, लेकिन अदालतों में 20-20 वर्ष तक मामले लंबित रहते हैं। इस दौरान वे चार कार्यकाल पूरा कर लेते हैं। ऐसे में यदि उन्हें छह वर्ष या आजीवन चुनाव लड़ने से रोक भी दिया जाए तो इसका क्या मतलब है? याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि 34 फीसदी सांसदों का आपराधिक रिकॉर्ड है।