एनसीईआरटी अगले सत्र लाएगा चार कक्षाओं की नई पाठ्य-पुस्तकें
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने अगले साल यानी शैक्षणिक सत्र 2025- 26 में चार और कक्षाओं के लिए नई पाठ्य पुस्तकें लाने की जानकारी दी है। NCERT की ओर से यह पुस्तकें कक्षा चौथी पांचवीं सातवीं और आठवीं के लिए होंगी। इसके बाद शैक्षणिक सत्र 2026-27 में नौवीं दसवीं ग्यारहवीं व बारहवीं की बुक्स को लाया जायेगा। ये सभी पुस्तकें NEP के तहत तैयार होंगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों के लिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने में जुटा एनसीईआरटी ( राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद) अगले साल यानी शैक्षणिक सत्र 2025- 26 में चार और कक्षाओं के लिए नई पाठ्यपुस्तकें लाएगा। जो चौथी, पांचवीं, सातवीं और आठवीं कक्षाओं के लिए होगी। जबकि नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें शैक्षणिक सत्र 2026-27 में आएंगी। फिलहाल एनसीईआरटी इसके अतिरिक्त अब तक सात कक्षाओं की नई पाठ्यपुस्तकें ला चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने दी ये डिटेल
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्कूलों के नई पाठ्यपुस्तकों को तैयार करने में एनसीईआरटी पूरी ताकत से जुटा है। इसके साथ ही एनसीईआरटी ने स्कूली छात्रों तक इन्हें समय से पहुंचाने की भी योजना बनाई है। जिसमें यह पाठ्यपुस्तकें दूर-दराज क्षेत्रों तक पहुंच सके, इसके लिए एनसीईआरटी ने अमेजान और फ्लिफकार्ड करार किया है, जो इन पुस्तकों को छात्रों को प्रिंट रेट पर ही मुहैया कराएगी। इसके साथ ही इन पुस्तकों की मांग को देखते हुए पांच करोड़ की जगह अब हर साल करीब 15 करोड़ पुस्तकें छापने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले दस वर्षों में प्रति छात्र 130 प्रतिशत खर्च की हुई बढ़ोत्तरी
प्रधान ने पिछले दस सालों में शिक्षा के क्षेत्र में आए बड़े बदलावों की भी जानकारी दी और बताया कि दस सालों में देश में देश पर प्रति छात्र पर होने वाले खर्च में 130 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 के बीच जहां प्रति छात्र पर खर्च 10,780 रुपए था, वहीं 2021-22 में यह 25,043 रुपए हो गया है। वहीं नामांकन, पास होने की संख्या, नए स्कूल व उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या भी दस सालों में बढ़ी है। स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है। खासकर इंटरनेट और बिजली से बड़ी संख्या में स्कूल लैस हुए है।
2013-14 में जहां 53 प्रतिशत स्कूलों में ही बिजली थी, वहीं 2023-24 में 91.8 प्रतिशत स्कूलों में बिजली पहुंच गई। इंटरनेट की कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। 2013-14 में जहां सिर्फ 7.1 प्रतिशत स्कूलों में ही इंटरनेट की सुविधा थी, वहीं 2023-24 में 54 प्रतिशत स्कूल इससे लैस हो गए है। उच्च शिक्षा संस्थानों में भी पिछले दस सालों में करीब 14 प्रतिशत की ग्रोथ हुई है।