अभी अभी: MP में राहुल को लोगों ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा और हुए गिरफ्तार
मंदसौर : मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान पुलिस फायरिंग में मारे गए 6 किसानों के परिवारों से मिलने के लिए गुरुवार को राहुल गांधी को काफी मशक्कत करनी पड़ी। राजस्थान के उदयपुर से एमपी के मंदसौर के लिए निकले राहुल ने पुलिस से बचने के लिए कार-बाइक से सफर किया। करीब 3 किमी पैदल भी चले। इसके बाद भी वे मंदसौर नहीं पहुंच पाए।
उन्हें पुलिस ने नीमच से पहले ही हिरासत में ले लिया। पुलिस राहुल को एक गेस्ट हाउस ले गई। वहां वे करीब 4 घंटे तक रहे। पुलिस ने उन्हें यह इलाका छोड़ने के लिए कहा, लेकिन वे किसानों के परिवार वालों से मिलने की जिद पर अड़े रहे। एडमिस्ट्रेशन ने उनकी बात फोन पर किसानों के परिवार से कराई। रिहा होने के बाद शाम को राहुल ने राजस्थान बॉर्डर पर परिवारों से मुलाकात की। इस बीच राहुल ने कहा- “मैं सिर्फ किसानों से मिलना चाहता था। लेकिन बिना वजह बताए मुझे हिरासत में लिया गया।” पांच प्वाइंट्स में जाने कैसे चला दिनभर राहुल का ड्रामा …
1. पुलिस की तैनाती की वजह से राहुल को राजस्थान में हीबदलनी पड़ी स्ट्रैटजी
मंदसौर जाने के लिए राहुल दिल्ली से चार्टर्ड प्लेन के जरिए गुरुवार सुबह 9:30 बजे उदयपुर पहुंचे। सुबह 9.50 बजे यहां से राहुल कांग्रेस वर्कर्स के साथ कार से मंदसौर के लिए रवाना हुए। राहुल की विजिट को देखते हुए राजस्थान पुलिस ने भी उन्हें रोकने की तैयारी कर रखी थी। राजस्थान-मध्यप्रदेश बॉर्डर के पहले डोरिया चौराहा पर पुलिस की मौजूदगी के बाद राहुल ने अपनी स्ट्रैटजी में बदलाव किया और फिर बाइक से आगे बढ़ने का फैसला लिया।
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राहुल ने डोरिया चौराहा से जलिया चेक पोस्ट तक बाइक से सफर तय किया। इस दौरान वे सचिन पायलट, कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी समेत कई लोगों के साथ थे। निंबाहेड़ा से दो किमी पहले वे जहांजपुर विधायक धीरज गुर्जर की बाइक पर सवार हुए। राहुल ने करीब पांच किमी का सफर तय किया और जलिया पोस्ट पहुंचे।
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करीब 1:30 बजे पुलिस ने राहुल को हिरासत में ले लिया। इस वक्त राहुल के साथ प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, सचिन पायलट भी थे। पुलिस सभी को राहुल को जीरण स्थित विक्रम सीमेंट के गेस्ट हाउस ले गई। पुलिस ने इसे टेम्पररी जेल बनाया था। करीब 300 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। इस गेस्ट हाउस में राहुल करीब 4 घंटे तक रहे।
जब उनसे पूछा गया कि फायरिंग में मारे गए किसानों के लिए कौन जिम्मेदार है, तो उन्होंने कहा- नरेंद्र मोदी जी और सीएम।
“इनकी मांग है इन्हें शहीद का दर्जा मिलना चाहिए, कांग्रेस ये बात उठाएगी और पूरी मदद करेगी।”
राहुल के साथ कौन कौन था?
उधर, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा- गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह को फायरिंग में मारे गए लोगों पर जिम्मेदारी के साथ बयान देना था। बता दें कि भूपेंद्र सिंह ने पहले कहा था पुलिस ने गोली नहीं चलाई। वहीं गुरुवार को कहा कि किसान पुलिस की गोली से ही मारे गए।
कर्ज माफी और दूध के दाम बढ़ाने जैसे मुद्दे पर किसानों का आंदोलन महाराष्ट्र में 1 जून से शुरू हुआ था। वहां अब तक 7 लोगों की मौत हुई है।
इंदौर में मंगलवार को शांति रही, लेकिन बुधवार को पड़ोसी जिले देवास के हाट पिपलिया में आंदोलनकारियों ने थाने के अंदर खड़ी गाड़ियों में आग लगा दी। मंदसौर में सभी मोबाइल सर्विसेस सस्पेंड कर दी गईं।
नीमच-रतलाम के भी कलेक्टर बदले
शाजापुर में प्रदर्शनकारियों ने पीपलिया गोपाल गांव में दूध ला रहे व्यापारी की बाइक जला दी। कृषि उपज मंडी में प्याज की खरीदी के दौरान प्रदर्शनकारी पहुंचे और खरीदी बंद करवाने पर अड़ गए। कलेक्टर अलका श्रीवास्तव, एसपी मोनिका शुक्ला, एडीएम मीनाक्षी सिंह और एएसपी ज्योति सिंह फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने प्याज की ट्रॉली पलट दी और पथराव शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने एक ट्रक और तीन बाइक में आग लगा दी।
भास्कर के कैमरामैन का कैमरा छीना