एमपी: युवती का खदान में मिला शव, लापता होने से पहले दो युवकों के साथ दिखी थी

परासिया जामई मार्ग पर स्थित इकलहरा की बंद ओपन कास्ट कोयला खदान में एक युवती का शव पानी में मिलिा। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला। मृतक युवकी महाराष्ट्र बैंक परासिया के पीछे वार्ड 15 में रहती थी। गुरुवार को परासिया थाने में उसकी गुमशुदगी दर्ज की गई थी। दोपहर में कोयला खदान में शव मिलने की सूचना पर पहुंची चांदामेटा थाना प्रभारी अरुण मर्सकोले और बडकुही चौकी प्रभारी अक्रजय धुर्वे की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद देर शाम को शव बाहर निकालकर पीएम के लिए भिजवाया।  युवती ने पेंचवेली कॉलेज खिरसाडोह की ड्रेस पहनी थी, जिसके आधार पर उसकी पहचान की गई। 

जानकारी के अनुसासर इकलहरा में टोल नाके के पास बंद कोयला खदान में युवक शव पाया गया। खदान में पानी भरा हुआ था। गुमशुदगी की रिपोर्ट के अधार पर पुलिस ने युवती के परिजनों को सूचना दी, उन्होंने मौके पर पहुंचकर शव की पहचान की। युवती दमुआ के राखीकोल की निवासी थी, जबकि उसके माता-पिता पांढुर्णा में मजदूरी करते हैं। युवती और उसकी बहन परासिया के वार्ड नंबर 15 में महाराष्ट्र बैंक के पीछे अपनी मौसी के पास रहकर पढ़ाई कर रही थी। मृतक युवती चंचल कुमरे एमकॉम थर्ड ईयर की छात्रा थी। बुधवार दोपहर बारह बजे वह कॉलेज की किताबें लेने के लिए घर निकली थी। शाम छह बजे तक जब वह वापस नहीं आई तो उसकी खोजबीन शुरू की गई, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला। 

युवती चांदादेव टेकड़ी पर दो युवकों के साथ थी
युवती के परिजन और मोहल्ले के लोगों ने बुधवार शाम और गुरुवार को पूरा दिन उसकी खोजबीन की। पता चला कि युवती दोपहर में चांदादेव टेकड़ी पर दो युवकों के साथ देखी गई थी और करीब ढाई घंटे तक वहां रही थी। इसके बाद लापता हो गई। यह भी कहा जा रहा है कि युवती किसी युवक के साथ बाइक पर बैठकर गुढी जा रही थी, लेकिन रास्ते में दोनों के बीच विवाद हो गया। इसके बाद वह बाइक से उतर गई और युवक आगे चला गया। कुछ देर बात युवक वापस आया तो युवती वहां नहीं मिली। पुलिस इस युवक से पूछताछ कर रही है।

युवती के पास पैसे नहीं होते थे
युवती के परिजनों ने पुलिस को बताया कि उसकी मां-पिता पैसे डालने के लिए कहते तो वह मौसी के खाते में ही पैसे डालती थी। आमतौर पर केवल 20 रुपए लेकर ही घर से निकलती थी। मोबाइल भी नहीं रखती थी। कॉलेज जाने और आने में दस-दस रुपए खर्च होते थे, इसके अलावा उसके पास कोई पैसे नहीं होते थे।

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